55 साल में पहली बार, बैंकों में FD कराने से बच रहे हैं लोग

अगर लोग बैंकों में जमा नहीं कर रहे हैं तो कहां जा रहा है पैसा

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बैंकों में FD के बजाए म्यूचुअल फंड में हो रहा है निवेश
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बैंकों में FD के बजाए म्यूचुअल फंड में हो रहा है निवेश
(फोटो: iStock)

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बैंक परेशान है पैसा जमा कराने वालों की रफ्तार घट गई है. इसलिए बैंकों फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए ब्याज बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं ताकि लोगों बैंक में पैसा जमा कराएं.

मतलब 2016 में नोटबंदी से मजबूर होने की वजह से बैंकों में जो छप्पर फाड़ रकम जमा हुई थी उसमें से ज्यादातर छूमंतर हो गई है. लोग बैंकों से रकम निकाल जा रहे हैं और जमा कराने में कंजूसी कर रहे हैं.

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 1963 में ऐसा पहली बार हो रहा है कि डिपॉजिट ग्रोथ कम हो गई है. बैंकों के धंधे बुरा असर पड़ने का खतरा बढ़ गया है.

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FD के बजाए कहां हो रहा है निवेश

  • वित्तीय साल 2018 में बैंकों में रकम जमा करने की ग्रोथ 1963 में सबसे कम सिर्फ 6.7 परसेंट
  • नोटबंदी के समय को बैंकों में जो रकम आई थी वो अब दूसरे आकर्षक निवेश जैसे म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस में शिफ्ट हो गई है
  • बैंकों ने डिपॉजिट आकर्षित करने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट का ब्याज बढ़ाना शुरु किया
  • शेयर बाजार से ज्यादा रिटर्न से म्यूचुअल फंड में निवेश आकर्षक हुआ
  • हाल में बैंक एटीएम और ब्रांच में करेंसी नोटों की कमी की भी यही वजह मानी जा रही है.
  • नोटबंदी के वक्त बैंकों में 15.28 लाख करोड़ रुपए आए थे, जिससे बैंकों के पास मार्च 2017 तक कुल जमा रकम 108 लाख करोड़ रुपए हो गई थी.
  • मार्च 2018 में ये डिपॉजिट बढ़कर सिर्फ 114 लाख करोड़ रुपए हो पाए यानी एक साल में सिर्फ 6 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी. मतलब सिर्फ 6.7 परसेंट बढ़त.
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जमा हुई रकम कहां गायब हो गई?

इसका सीधा जवाब नहीं है, लेकिन बारीक नजर डालें तो राज खुल जाता है कि पैसा आखिर जा कहां रहा है.

मार्च 2017 और 2018 के बीच म्यूचुअल फंड के एसेट 17.55 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 21.36 लाख करोड़ रुपए हो गए यानी करीब 22 परसेंट ग्रोथ. इसी दौरान बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ सिर्फ 6.7 परसेंट रही.

म्यूचुअल फंड के एसेट मार्च 2016 से 2017 के बीच 12.33 लाख करोड़ रुपए से 42 परसेंट बढ़कर 17.55 लाख करोड़ रुपए हो गए.

इंश्योरेंस प्रीमियम में निवेश मार्च 2017 के 1.75 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2018 में 1.93 लाख करोड़ रुपए हो गया. मार्च 2016 में ये सिर्फ 1.38 लाख करोड़ ही थी.

कस्टमर को फायदा

बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट कम होने का फायदा उन कस्टमर को होगा जो बैंक में एफडी कराने को अभी भी तरजीह देते हैं. बैंकों ने ज्यादा जमा आकर्षित करने के लिए ब्याज बढ़ाना शुरू कर दिया है. जैसे HDFC बैंक ने कुछ जमा में ब्याज एक परसेंट बढ़ा दिया है.

बैंकर्स को उम्मीद है कि बैंकों में जमा बढ़ेगा क्योंकि म्यूचुअल फंड या इंश्योरेंस के मुकाबले एफडी को तुड़वाना आसान है. लेकिन क्या सिर्फ यही वजह लोगों को निवेश के लिए खींच पाएगी.

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