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क्विंट हिंदी आपके लिए लाया है स्पेशल सीरीज बजट की ABCD, जिसमें हम आपको बजट से जुड़े कठिन शब्दों को आसान भाषा में समझा रहे हैं... इस सीरीज में आज हम आपको ‘सरकारी उधार’ यानी ‘गवर्मेंट बौरोइंग’ का मतलब समझा रहे हैं.
केंद्र सरकार के खर्च जब उसके राजस्व से ज्यादा होते हैं तो उसकी भरपाई के लिए सरकार को उधार लेने की जरूरत होती है. सरकार ये उधारी तीन स्रोतों से हासिल करती है- नई मुद्रा छापकर, घरेलू स्रोतों से और विदेशी स्रोतों से.
सरकार को कई बार विकास कार्यों के लिए या सामाजिक योजनाओं के लिए उधार लेने की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन स्वाभाविक तौर पर इस उधार का असर ब्याज भुगतान के दबाव के रूप में सरकारी खजाने पर पड़ता है, इसलिए सरकारी उधारी में बढ़ोतरी आमतौर पर कैपिटल मार्केट के लिए नकारात्मक होती है.
गौरतलब है कि भारत सरकार अपनी कुल आय का 18 से 19% हिस्सा केवल ऋण भुगतान के रूप में खर्च करती है. अर्थशास्त्री विकास दर को बढ़ाने के लिए भी एक सीमा से ज्यादा सरकारी खर्च की सलाह नहीं देते, क्योंकि अगर सरकार बाजार से उधार लेकर खर्च करती है तो भले ही अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश बढ़ रहा हो, निजी निवेश पर बुरा असर पड़ने लगता है.
सरकार की कोशिश अपनी उधारी पर नियंत्रण रखना होना चाहिए, ताकि निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए बाजार में पूंजी की उपलब्धता बनी रहे, और ब्याज दरों में नरमी रहे.
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