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कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार के बीच इस साल धनतेरस (Dhanteras) में लोगों ने सोने-चांदी की दिल खोलकर खरीदारी की है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार इस साल धनतेरस में 7500 करोड़ के सोने-चांदी की बिक्री हुई है. हालांकि ऑटो सेक्टर के लिए धनतेरस निराशा भरा रहा. सेक्टर के कारोबार में काफी गिरावट देखी गई.
काफी समय से मंदी की मार झेल रहे बाजार में रौनक ने अर्थव्यवस्था को नई उम्मीद दी है. कैट ने बयान जारी कर कहा कि धनतेरस पर 15 टन सोने की बिक्री हुई है. कैट के अनुसार धनतेरस पर दिल्ली में 1000 करोड़, महाराष्ट्र में 15,00 करोड़, यूपी में 600 करोड़ दक्षिण भारत में 2000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ.
कारोबारी लिहाज से देखें तो ज्वेलरी मार्केट में धनतेरस पर जमकर खरीदारी अच्छे संकेत दे रही है. जानकारों का कहना है कि अब जूलरी मार्केट कोरोना काल से पहले के स्तर पर पहुंच गया है, यहां तक की कारोबार में कोरोना से पहले के मुकाबले कुछ बढ़ोतरी ही देखी जा रही है. सोने की कीमतों में कमी इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है.
कारोबार में तेजी पर इंडिया बुलियन ऐंड ज्वेलर्स असोसिएशन की तान्या रस्तोगी ने क्विंट हिंदी से कहा, ''धनतेरस से हमें काफी उम्मीदें थीं. धनतेरस के हफ्तेभर पहले ही हमारा बिजनस महामारी के पहले लेवल पर पहुंच गया था. पिछले साल के मुकाबले इस बार कारोबार काफी अच्छी रहा.''
वहीं ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल कोरोना महामारी और अन्य वजहों से काफी ज्यादा प्रभावित दिख रहा है. हालात इतने खराब हैं कि त्योहारी सीजन में भी गाड़ियों की सेल में काफी गिरावट देखी जा रही है.
एक अनुमान के मुताबिक इस बार धनतेरस पर ऑटो सेक्टर के कारोबार में 25-30 फीसदी की गिरावट देखी गई है. सबसे ज्यादा मार टू व्हीलर्स सेगमेंट पर पड़ी है. इस बार 2 व्हीलर्स की बिक्री काफी ज्यादा प्रभावित हुई है.
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशन (FADA) के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा, ''कुल मिलाकर ऑटो सेक्टर में धनतेरस का ट्रेंड अच्छा नहीं है. कार सेगमेंट में काफी कस्टमर आए, लेकिन गाड़ियों की उपलब्धता की दिक्कत रही. वहीं टू व्हीलर्स सेगमेंट के एंट्री लेवल में खरीदारी ही नहीं हुई. ''
कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था का काफी प्रभावित हुई है. इसमें कोई शक नहीं हर वर्ग पर महामारी की मार पड़ी है. लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और लोअर मिडिल क्लास है. अर्थव्यवस्था की हालत पहले से बेहतर हो रही है, लेकिन गरीब और लोअर मिडिल क्लास अभी भी इससे ऊबर नहीं पाया है. इसका असर ऑटो सेक्टर पर देखने को मिल रहा है.
एक ओर ऑटो सेक्टर जहां कोरोना की वजह से बुरी तरह से काफी प्रभावित है, वहीं लोगों में सोने-चांदी में निवेश की रफ्तार बढ़ी है.इसका असर त्योहारी और शादी-विवाह के सीजन में देखने के मिल रहा है. सोने-चांदी में निवेश करने के ट्रेंड में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
इंडिया बुलियन ऐंड ज्वेलर्स असोसिएशन की तान्या रस्तोगी इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत मानती हैं. वो कहती हैं ''पहले भी एक्सपर्ट्स कह चुके हैं कि आगे अर्थयव्यवस्था के हालात बेहतर होने की उम्मीद है. इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि नवंबर के बाद कारोबार और रफ्तार पकड़ेगा. शॉर्ट टर्म में ना सही, लॉन्ग टर्म में कारोबार अच्छा होगा.''
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