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Economic Survey: भारत के आर्थिक सर्वेक्षण को गंभीरता से लेने की जरूरत है

वार्षिक बजट और आर्थिक सर्वेक्षण के पेश होने के बीच समय को कम किए जाने के कई फायदें हो सकते हैं

क्विंट हिंदी
बिजनेस न्यूज
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<div class="paragraphs"><p>देश का आर्थिक सर्वेक्षण एक प्रमुख वार्षिक दस्तावेज है और एक महत्वपूर्ण भी संसाधन है.</p></div>
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देश का आर्थिक सर्वेक्षण एक प्रमुख वार्षिक दस्तावेज है और एक महत्वपूर्ण भी संसाधन है.

फोटो- क्विंट

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देश का आर्थिक सर्वेक्षण एक प्रमुख वार्षिक दस्तावेज है और एक महत्वपूर्ण संसाधन भी है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, चुनौतियों और संभावनाओं को लेकर एक गाइड की तरह है. जैसा कि 2021 के हालिया सर्वेक्षण में इसकी प्रस्तावना में कहा गया है कि "यह सभी मंत्रालयों, भारत सरकार के विभागों, भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारियों, शोधकर्ताओं, सलाहकारों और थिंक टैंकों के मूल्यवान इनपुट, से बना एक प्रयास है.

लेकिन इतना महत्वपूर्ण दस्तावेज होने के बावजूद इसकी आर्थिक बजट में उतनी छाप देखने को नहीं मिलती जितनी आदर्श रूप से दिखनी चाहिए.

हर कोई वार्षिक बजट के पेश होने के एक दिन पहले प्रस्तुत होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर आश्चर्य करता होगा कि इस सर्वेक्षण का लाभ वार्षिक बजट को किस तरह से पहुंचता होगा.

मीडिया में आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर जितनी चर्चाएं या बहसें होती हैं, वो बहुत ही कम समय के लिए देखी या सुनी जा सकती है. इसके अलावा मुख्य आर्थिक सलाहकार के कुछ इंटरव्यू देखने-सुनने को मिल जाते हैं, लेकिन जैसे ही अगले दिन बजट पेश हो जाता है, वैसे ही बजट चर्चा का मुख्य केंद्र बन जाता है और आर्थिक सर्वेक्षण कहीं पीछे छूट जाता है.

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बजट और सर्वेक्षण के पेश होने के बीच समय को कम किया जाना चाहिए 

आर्थिक सर्वेक्षण जिसमें नए विचारों और दृष्टिकोणों का उल्लेख होता है उसे बजट पेश करने से कम से कम एक महीने पहले जारी किया जाना चाहिए. इसे हर साल 1 जनवरी को जारी किया जाना चाहिए.

सर्वेक्षण और बजट के जारी होने के बीच का अंतराल कम करने के पीछे क्या उद्देश्य है-

  • बजट पर चर्चा होने से पहले आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए पर्याप्त समय होगा.

  • सर्वेक्षण और बजट पेश होने के बीच का समय वित्त अधिकारियों को इस बात पर विचार करने के लिए समय देगा कि क्या सर्वेक्षण के कुछ विषयों का उपयोग तत्काल बजट प्रक्रिया में किया जा सकता है. बजट में कुछ सुझावों/विचारों को मौजूदा योजनाओं में बदलाव, कुछ पाठ्यक्रम सुधार या नई पहल शुरू करके शामिल किया जा सकता है.

  • सर्वेक्षण में लिखी गई कई चीजे बढ़िया ढंग और अच्छी तरह से लिखी जा सकती है जिसका इस्तेमाल बजट में किया जा सकता है.

ये सब कर के सरकार ये दिखा सकती है कि लंबे चौड़े आर्थिक सर्वेक्षण की महत्ता है और और मुख्य आर्थिक सलाहकार के विभाग का काफी योगदान है.

यह कहने कि आवश्यकता नहीं है कि सर्वेक्षण की स्वीकृति और प्रशंसा से आर्थिक सर्वेक्षण पर काम करने वाली टीम जो दिन रात महनत कर कई सारे डेटा का विश्लेषण करती है, ग्राफ्स पर काम करती है, उन्हें भी इससे और अच्छा करने की प्रेरणा मिलेगी.

आर्थिक सर्वेक्षण केवल सजावटी दस्तावेज नहीं है

हमें मालूम है कि हाल के दिनों में सर्वेक्षणों द्वारा लाए गए कई शानदार विचारों और निष्कर्षों के बावजूद उसे उचित मान्यता या गंभीरता से नहीं लिया गया.

उदाहरण के लिए, 2017 के आर्थिक सर्वेक्षण में पाया गया कि हमारे देश के अंदर माइग्रेशन काफी होता है और हमारी अर्थव्यवस्था में इसका योगदान भी काफी है. रेलवे के माध्यम से लोगों की आवाजाही को लेकर हम जानते ही हैं. तो अगर सर्वेक्षण में माइग्रेशन को लेकर इतना डेटा दिया गया था और सर्वेक्षण को मान्यता दी जाती तो जरूर ही हम प्रवासी मजदूरों पर उपयुक्त नीतियां बनाते और हो सकता है कि कोरोना महामारी के दौरान माइग्रेशन के संकट से निपटने में हमारी मदद हो पाती.

ऐसे ही हर साल हमारे आर्थिक सर्वेक्षण में कई महत्वपूर्ण विषयों पर डेटा, विश्लेषण और काम की चीजे दी जाती हैं. अगर आर्थिक सर्वेक्षण को महत्ता दी जाए, उस पर गंभीरता से चर्चा हो और उसकी छाप बजट पर भी पड़े तो देश में नीतियां बनाई जा सकती हैं.

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