advertisement
देश में इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़ी नीति पर व्हीकल इंडस्ट्री लंबे समय से सरकार से अपना रुख साफ करने की मांग करती आ रही है. पिछले कुछ महीनों से लगातार ऐसी खबरें आ रही थीं कि सरकार देश में 2030 तक सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाना अनिवार्य कर देगी. लेकिन अब सरकार ने कहा है कि वह अलग से इलेक्ट्रिक वाहन नीति नहीं ला रही है.
रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि अलग से इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी लाने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि उन्होंने और ज्यादा बोलने से इनकार कर दिया.
गडकरी की जगह नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में हर दिन नए तकनीकी इनोवेशन हो रहे हैं. हम इलेक्ट्रिक वाहनों पर एक्शन प्लान बना रहे हैं, जो सभी मंत्रालयों को दे दिया जाएगा और हम इस पर निगरानी रखेंगे. हमें अलग से ई-व्हीकल पर नीति लाने की जरूरत नहीं है. अमिताभ कांत नीति आयोग में दो चार्जिंग स्टेशनों के उद्घाटन के बाद इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी पर सरकार का नजरिया पेश क रहे थे.
अमिताभ कांत ने कहा:
अमिताभ कांत ने कहा, ''सरकार का लक्ष्य है एक दशक से कम समय में सभी कारों को इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील कर दे. सरकार चाहती है कि इस दौरान उत्सर्जन में कटौती भी आधी हो जाए और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घट जाए. देश के आयात बिल में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है.''
बहरहाल, सरकार चाहे जो कहे लेकिन सरकार जब तक इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़ी कोई साफ नीति नहीं लेकर आती तब तक वाहन निर्माता कंपनी इस ओर बढ़ने में हिचक रही हैं.
भारत में मर्सिडीज बेंज के सीईओ रोलैन्ड वोलगर ने कहा सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर कोई क्लियर पॉलिसी लेकर नहीं आई है. इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण को कंपनियां कैसे रफ्तार देगी.
ये भी पढ़ें
ये ILU-lLU नहीं,नीरव मोदी के घोटाले का LOU-LOU है,जानिए पूरी बातें
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)