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आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर का रास्ता लगातार मुश्किल होता जा रहा है. ICICI बैंक के बोर्ड ने फटाफट क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन दो-तीन में तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद ऐसा लगने लगा है कि कोचर का इस पद पर बने रहना मुश्किल होगा.
ब्लूमबर्ग क्विंट की खबर के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक बोर्ड के कुछ डायरेक्टर चंदा कोचर के सीईओ बने रहने के खिलाफ है. हालांकि बोर्ड ने 28 मार्च की बैठक में वीडियोकोन लोन मामले में चंदा कोचर पर अपना पूरा विश्वास जता दिया था, पर अब जैसे जैसे नई जानकारियां सामने आ रही हैं उससे अब स्थिति बदल गई है. देश के दूसरे बड़े प्राइवेट बैंक का बोर्ड इस सप्ताह बैठक कर इस मामले में नए सिरे से कदम उठाने का फैसला कर सकता है.
वीडियोकोन ग्रुप को लोन देने के मामले में नियमों के कथित उल्लंघन को सीबीआई जांच कर रही है. इस ग्रुप से चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की बिजनेस पार्टनरशिप रही है. इसके अलावा दीपक कोचर के भाई राजीव कोचर के खिलाफ भी जांच हो रही है. कोचर की अविस्ता एडवाइजरी आईसीआईसीआई बैंक को कारोबारी सलाह देती रही है.
इस मामले में अब तक चंदा कोचर ने कुछ नहीं कहा है. बोर्ड का कहना है कि 2012 में वीडियोकॉन को जो लोन दिया गया था उससे चंदा कोचर सीधे नहीं जुड़ी थीं. यह लोन बैंक तत्कालीन चेयरमैन केवी कामथ की अगुवाई वाली क्रेडिट कमेटी ने मंजूर किया था.
इस बीच, इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक बोर्ड में गवर्नमेंट नॉमिनी को बदले जाने के बाद से चंदा कोचर पर दबाव बढ़ा है. पहले बोर्ड में सरकार की ओर से अमित अग्रवाल थे. उनकी जगह, सरकार ने वित्तीय मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव लोक रंजन को बोर्ड में नामित किया है. हालांकि आईसीआईसीआई बैंक का कहना है कि यह रूटीन मामला है.
आईसीआईसीआई बोर्ड में छह स्वतंत्र निदेशक हैं. इनमें बैंक के चेयरमैन, एलआईसी चीफ शामिल है. एलआईसी की आईसीआईसीआई बैंक में 9.4 फीसदी हिस्सेदारी है. बोर्ड में सरकार का एक नॉमिनी और पांच एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं.
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