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जेट एयरवेज की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. तेल (एटीएफ) के बढ़ते दाम और एयरलाइंस कंपनियों के बीच भारी कंपीटिशन की वजह से जेट एयरवेज को लगातार तीसरी तिमाही में घाटा हुआ है. एयरलाइंस का घाटा बढ़ कर 13 अरब रुपये पहुंच गया है.
जेट एयरवेज पिछले 11 साल में से नौ में घाटे रही है. वित्तीय संकट से उबरने के लिए वह पैसा जुटाने में लगी है. पिछले दिनों खबरें आई थीं कि जेट एयरवेज के सीईओ नरेश गोयल रिलायंस इंडस्ट्रीज चीफ मुकेश अंबानी से मिले थे. इससे पहले टाटा की ओर से इसके शेयर खरीदने की कोशिश की खबरें आई थीं. पिछले महीने पेमेंट डिफॉल्ट की वजह से उसे विमान लीजिंग कंपनियों की ओर से नोटिस मिल चुके हैं. पिछले कुछ महीनों के दौरान इसने अपने कर्मचारियों को वेतन देने में देरी की है. इस साल अब तक जेट एयरवेज के शेयरों के दाम 71 फीसदी तक गिर चुके हैं.
जेट एयरवेज में नरेश गोयल की हिस्सेदारी 51 फीसदी है और वह कंपनी को बचाने के लिए इसका कुछ हिस्सा बेचना चाहते हैं. वह कई विदेशी एयरलाइंस से बातचीत कर रहे हैं. 2013 में उन्होंने जेट एयरवेज में अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी इतिहाद एयरवेज को बेच दी थी. यह हिस्सेदारी सरकार की ओर से घरेलू एयरलाइंस में विदशी एयरलाइंस की हिस्सेदारी बढ़ा कर 49 फीसदी करने के बाद बेची गई थी.
पहले खबर आई थी कि टाटा सन्स जेट वेयरवेज की में हिस्सेदारी खरीदने की सोच रही है. हालांकि उसकी यह योजना बेहद शुरुआती दौर में है. नरेश गोयल की कंपनी जेट एयरवेज में इतिहाद की 24 फीसदी हिस्सेदारी है. आजकल जेट एयरवेज वित्तीय संकट से जूझ रही है और इसके कर्मचारियों को वेतन मिलने में कई बार देरी हो रही है.
टाटा सन्स की पहले ही दो एयरलाइंस विस्तारा और एयर एशिया इंडिया में हिस्सेदारी है. विस्तारा में इसकी 41 फीसदी हिस्सेदारी है. विस्तारा टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस का ज्वाइंट वेंचर है. जेट एयरवेज में टाटा सन्स की हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश की खबर ऐसे वक्त आई है, जब विस्तारा अपना ओवरसीज ऑपरेशन शुरू करने जा रही है.
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