advertisement
देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का मेगा इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) 9 मई को बंद हो गया. एलआईसी का आईपीओ 4 मई से लेकर 9 मई के बीच 6 दिनों के लिए खुला था. आखिरी दिन इश्यू कुल 2.95 गुना सब्सक्राइब हुआ. इन्वेस्टर्स ने 16.2 करोड़ इक्विटी शेयर्स के मुकाबले 47.83 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगाई. लेकिन किस सेगमेंट ने कितना सब्सक्राइव किया है, इससे कई बातें पता चलती हैं.
LIC के कर्मचारियों के लिए रिजर्व कोटे का 4.39 गुना शेयर खरीदा गया जबकि पॉलिसीधारकों के लिए रिजर्व हिस्से का 6.11 गुना सब्सक्राइब हुआ. इसके अलावा रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व कोटे का 1.99 गुना शेयर बिका जबकि गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्से को 2.91 गुना सब्सक्राइब किया गया. योग्य संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्से को 2.83 गुना सब्सक्राइब किया गया है.
एलआईसी की पहली पेशकश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) ने 4,000 करोड़ रुपये से कम का निवेश किया - इश्यू के आकार के पांचवें से भी कम और कुल सब्सक्रिप्शन का केवल 5 प्रतिशत. इसका मतलब ये है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने आईपीओ में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. भारत के सबसे बड़े आईपीओ के बारे में ये सिग्नल काफी कुछ कहता है.
दूसरी ओर व्यक्तिगत निवेशकों ने 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया.
आईपीओ ने 8 मिलियन से ज्यादा रिटेल एप्लीकेशन प्राप्त किए, जिनमें से कई फर्स्ट टाइम निवेशक थे. यह पिछले साल ग्लेनमार्क लाइफ साइंस की प्रारंभिक पेशकश में 3.4 मिलियन में आईपीओ में अधिकांश अनुप्रयोगों के हालिया रिकॉर्ड के दो गुना से अधिक है.
इस इंडस्ट्री के खिलाड़ियों का कहना है कि एलआईसी के आईपीओ में एक विशेष "पॉलिसीधारक कोटा" रखने का कदम सरकार का एक मास्टरस्ट्रोक था. बड़े पैमाने पर विज्ञापन अभियान के माध्यम से पॉलिसीधारकों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया आईपीओ से महीनों पहले शुरू हुई थी.
सरकार ने पॉलिसीधारक कोटा में आवेदन करने वालों के लिए प्रति शेयर 60 रुपये की अतिरिक्त छूट भी दी, जिससे निवेशकों की निवेश करने की धारणा को बढ़ावा मिला.
यह छूट खुदरा निवेशकों को दी जाने वाली 45 रुपये से ज्यादा थी.
एक निवेश बैंकर ने कहा कि “बहुत से वरिष्ठ नागरिक, जो आमतौर पर इक्विटी निवेश के खिलाफ होते हैं, उन्होंने बड़ी संख्या में इसमें भाग लिया. पॉलिसीधारकों को स्पेशल ट्रीटमेंट देने की एलआईसी की पहल जादुई साबित हुई,”
फंड्सइंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गिरिराजन मुरुगन ने कहा, "एलआईसी आईपीओ के लिए टियर -2 -3 शहरों से भागीदारी अधिक थी. हम इसका श्रेय एलआईसी की गहरी पॉलिसीधारक पैठ को दे सकते हैं. आईपीओ को नवगठित केंद्र शासित प्रदेशों से भी अच्छी संख्या में आवेदन मिले हैं. हमें यकीन है कि यह सेकेंडरी मार्किट में बड़ी रिटेल भागीदारी का रास्ता साफ करेगा और साथ ही एलआईसी आईपीओ में आवेदन करने के लिए खोले गए खातों का इस्तेमाल इक्विटी बाजारों में बड़े निवेश के लिए किया जाएगा.”
वित्तीय वर्ष 2021-22 में ब्रोकरेज के साथ खोले गए डीमैट खातों की संख्या 60 प्रतिशत बढ़कर लगभग 90 मिलियन हो गई. जानकारों के मुताबिक एलआईसी का आईपीओ 100 मिलियन के मील के पत्थर तक पहुंचने में मदद करेगा.
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांता पांडेय के मुताबिक एलआईसी के आईपीओ से पूंजी बाजार को बेहतर करने में मदद मिलेगी उन्होंने इसे कामयाब बताया है और साथ ही घरेलू निवेशकों के जरिए कामयाब बनाने पर आत्मनिर्भर भारत का एक उदहारण बताया है. उन्होंने कहा, हम केवल विदेशी निवेशकों पर निर्भर नहीं हैं.
एलआईसी का मेगा आईपीओ भारतीय खुदरा इक्विटी निवेश में एक नया चैप्टर खोल रहा है. जिसमें आवेदनों की संख्या 6 मिलियन को पार करने के लिए निर्धारित है, यह अब तक का सबसे अधिक है, और भविष्य में इसके संभावित 42.6 मिलियन निवेशक हैं. एलआईसी पॉलिसियों से जुड़े अद्वितीय स्थायी खाता संख्या कुल 42.6 मिलियन हैं.
अपने इंश्योरेंस कंपनी के साथियों के बीच एलआईसी ही सबसे महंगा होगा, वर्तमान में सबसे महंगा बीमाकर्ता के दोगुने से ज्यादा. एलआईसी के दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी अपनी कमाई के 82 गुना पर ट्रेड करती है, जबकि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी 79 गुना और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी 78 गुना पर ट्रेड करती है. जीवन बीमा उद्योग का औसत PE (Price to Earnings Ratio) 80 है.
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने सोमवार 09 मई को कहा कि 12 मई को एलआईसी आईपीओ में बोली लगाने वालों को शेयर आवंटित किए जाएंगे, जबकि बीमा दिग्गज को 17 मई को स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टेड किया जाएगा.
(न्यूज इनपुट्स - बिजनेस स्टैंडर्ड & इकोनॉमिक टाइम्स)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)