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सरकार ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि वह धीरे-धीरे 2000 के नोटों को सिस्टम से बाहर करने जा रही है. केंद्र की ओर से कहा गया है कि 2000 के नोट सिस्टम से बाहर नहीं किए जा रहे हैं. इस समय पर्याप्त दो हजार के नोट हैं इसलिए ऐसे ज्यादा नोट नहीं छापे जा रहे हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार दो हजार के नोटों को सिस्टम से धीरे-धीरे बाहर करना चाहती है.
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि नोटों की प्रटिंग जरूरत के हिसाब से की जाती है. इस समय सिस्टम में जितने नोट सर्कुलेशन में हैं, उनमें 35 फीसदी दो हजार के नोट हैं. दरअसल सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार ने 2000 के नोटों की छपाई रोक दी है और धीरे-धीरे इसे बंद करने को सोच रही है.
वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक 2000 के नोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नोटबंदी के ऐलान के बाद री-मॉनेटाइजेशन के लिए किया गया था. आरबीआई की ओर से अब इसकी छपाई कम से कम की जा रही है. 500 और 1000 के नोट को बंद कर दिए जाने के बाद नए 500 के नोट आए थे. इसके साथ ही 2000 रुपये के नोट भी आई थी. जब 2000 के नोट छापे जा रहे थे तभी यह फैसला किया गया था कि धीरे-धीरे इसकी छपाई कम कर दी जाएगी. क्योंकि ये सिस्टम में री-मॉनेटाइजेशन यानी दोबारा सिस्टम में पर्याप्त पैसा लाने के लिए शुरू किए गए थे.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 में 328 करोड़ से ज्यादा 2000 रुपये के नोट थे. एक साल के बाद ये बढ़ कर 336 करोड़ से ज्यादा हो गए थे. हालांकि एक वक्त में विपक्षी दलों का कहना था कि 2000 के नोटों से काला धन और बढ़ जाएगा.
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