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जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल बतौर चेयरमैन एयरलाइन बोर्ड से हटने को राजी हो गए हैं. कंपनी को बचाने के लिए फंड की व्यवस्था के तहत गोयल ने बोर्ड से फैसला किया. जेट एयरवेज में एतिहाद एयरवेज की 24 फीसदी हिस्सेदारी है. एतिहाद फंड के लिए एसबीआई समेत कई बैंकों के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.
जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले अपने कर्ज के बदले कंपनी में इक्विटी हिस्सेदारी पर शेयरधारकों की मुहर लगवा चुके हैं. जेट एयरवेज एयरक्राफ्ट लिजिंग कंपनियों का बकाया अदा करने में नाकाम रही है. फंड की कमी से एयरवेज अपने 18 विमानों को ग्राउंड कर चुकी है. लोन के इक्विटी में बदल जाने के बाद जेट एयरवेज में नरेश गोयल की हिस्सेदारी 51 फीसदी से घट कर 22 फीसदी रह जाएगी. जबकि एतिहाद की हिस्सेदारी 12 फीसदी हो जाएगी.
इससे पहले बुधवार को मुंबई में जेट एयरवेज के भविष्य पर हुई बैठक में एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं और एतिहाद के प्रतिनिधि कई मुद्दे पर असहमत रहे थे. इनमें एक प्रमुख मुद्दा था एतिहाद की ओर से जेट एयरवेज और जेटवेयर प्रिविलेज प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों को गिरवी रखना. दरअसल एतिहाद इसके लिए 750 करोड़ रुपये के ब्रिज फंडिंग के लिए तैयार नहीं थी. स्टेकहोल्डर्स के बीच इस मुद्दे को लेकर अभी भी बातचीत चल रही है. अगले दौर की बैठक भी होनी है.
बहरहाल, गोयल फंडिंग के बदले जेट एयरवेज में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी घटा कर 22 फीसदी करने के लिए तैयार हो गए हैं. गोयल इसके बदले अपने शेयर भी गिरवी रखने को तैयार हैं.
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