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क्या मोदी सरकार का ये गुप-चुप अध्यादेश ‘नोटबंदी पार्ट 2’ है?

मोदी सरकार ने ऐसा कुछ किया है जो “नोटबंदी रिटर्न” ही है और जान लीजिए इसका असर आप पर पड़ेगा ही पड़ेगा

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वीडियो एडिटर- वरुण शर्मा

कैमरा- सुमित बड़ोला

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अगर आप एक पिता है और आपको अचानक अपने बेटे की फीस के लिए बड़ी रकम की जरूरत पड़ती है. और अगर आप सोच रहे हैं कि किसी दोस्त या पड़ौसी से पैसे उधार लेकर काम चल जाएगा तो मुगालते में मत रहिएगा. अब ऐसा करना गैर कानूनी है क्यों कि सरकार धीरे से एक नया कानून ला चुकी है.

भले ही आपने टीवी पर प्रधानमंत्री को इसकी घोषणा करते हुए न सुना हो लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा कुछ किया है जो "नोटबंदी रिटर्न" ही है और जान लीजिए इसका असर आप पर पड़ेगा ही पड़ेगा. सरकार एक अध्यादेश लेकर लाई है जिसका नाम है "द बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम ऑर्डिनेंस 2019" हिंदी में इसका मतलब है जिस डिपॉजिट स्कीम की निगरानी रिजर्व बैंक न कर रहा हो वो तमाम व्यवस्था और स्कीम बैन.

आपके लिए थोड़ा और आसान कर देता हूं. अगर आप कैश या किसी और रूप में भी किसी से बिना किसी रेगुलेशन के मतलब भाईबंदी में कोई भी उधारी लेते हैं तो इस कानून के हिसाब से आपकी संपत्ति जब्त हो सकती है यहां तक उधार लेने वाले की गिरफ्तारी तक हो सकती है. देश के आम लोग जो शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी जरूरतों के लिए इमरजेंसी के वक्त आपस में छोटी मोटी उधारी ले लेते हैं वो भी इस ऑर्डिनेंस की जद में होंगे. वैसे अभी भी आप अपने किसी सगे रिश्तेदार, बैंक, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से पहले की तरह ही उधार ले सकते हैं.

सरकार की दलील है कि ऑर्डिनेंस से पैसा जमा करके धोखाधड़ी वाली पोंजी स्कीम चलाने वाले घोटालेबाज इन्वेस्टर्स पर लगाम लगेगी. और हवाला और ब्लैकमनी पर चोट होगी. इसलिए  कुछ लोग इस ऑर्डिनेंस को नोटबंदी का पार्ट 2 बता रहे हैं.

कई सारी कॉओपरेटिव सोसाइटी लोगों से पैसे जुटाकर कंपनियों में निवेश करती हैं. इसी चैनल के जरिए पॉलिटिकल फंडिंग के लिए पैसा जुटाया जाता है. अब चुनाव से ठीक पहले बिना रेगुलेशन के लोगों से पैसा जुटाने को गैर कानूनी कर देना, दिमाग में शक की सुई पैदा करता है. इसलिए इस नए ऑर्डिनेंस को लाए जाने की टाइमिंग पर भी सवाल उठने लगा है.

इस नए कानून का खासा असर पड़ेगा रियल एस्टेट इंडस्ट्री पर. बिल्डर्स अपने कस्टमर से अब एडवांस नहीं ले सकेंगे. इससे इस सेक्टर के निवेश पर सीधा असर पड़ेगा. चैरिटेबल ट्रस्ट से कर्ज लेकर पढ़ने वाले छात्र भी इस कानून का असर होगा. मतलब वो भी इसी कानून के तहत अनरेगुलेटेड ट्रांजैक्शन में आएगा.

इसलिए सरकार के इस नए ऑर्डिनेंस के मद्देनजर कुछ सवाल उठ रहे हैं,

  1. पहला, क्या ये चुनाव के ठीक पहले "नोटबंदी की तरह" ही कालेधन पर प्रहार है?
  2. दूसरा, क्या कॉऑपरेटिव सोसायटी सरकार के निशाने पर हैं?
  3. तीसरा, रोजमर्रा में होने वाले साधारण से ट्रांजेक्शंस पर सरकार इतनी सख्ती क्यों कर रही है?

अरे भई सरकार को किस बात की जल्दी है कि वो सीधे ऑर्डिनेंस ही ले आई वो भी चुपके-चुपके.

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