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Gas Price Hike: रिलायंस चाहती है, गैस के दाम तय न करे सरकार, अब महंगी होगी गैस?

इससे सरकार को भी नुकसान होगा- रिलायंस

प्रतीक वाघमारे
बिजनेस न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>Gas Price Hike</p></div>
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Gas Price Hike

फोटो- क्विंट हिंदी

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भारत सरकार ने शुक्रवार को घरेलू प्राकृतिक गैस (Domestic Natural Gas Price Hiked) की कीमत में 40 फीसदी की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर इसे 8.57 डॉलर प्रति mBtu (गैस यूनिट- million British Thermal Units) कर दी है.

अब सरकार घरेलू प्राकृतिक गैस के दामों को तय करने के लिए नए फॉर्म्यूले पर काम कर रही है ताकि ग्राहकों से बहुत ज्यादा दाम न वसूला जा सके. लेकिन अब रिलायंस ने सरकार से कहा है कि वह प्राकृतिक गैस के दामों में किसी तरह की कोई सीमा तय ना करे.

ध्यान रहे कि ये कीमतें प्राकृतिक गैस यानी जहां गैस का उत्पादन होता है वहां बढ़ाई गई है, सीएनजी या पीएनजी के दामों में 40 फीसदी की बढ़ोतरी नहीं हुई है. दरअसल साल में दो बार प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाए जाते हैं. पहली बार इसे अप्रैल और फिर अक्टूबर में बढ़ाया जाता है.

1 अक्टूबर को प्राकृतिक गैस के दामों के 6.1 डॉलर से बढ़ाकर 8.57 डॉलर कर दिया गया है. यह रेट उन गैस के उत्पादकों के लिए बढ़ाया गया है जो पुरानी फील्ड पर आज भी गैस का उत्पादन कर रहे हैं. प्राकृतिक गैस का दो तिहाई उत्पादन पुरानी फील्ड पर ही होता है. फील्ड पुराने होने के कारण गैस निकालने का खर्च बहुत ज्यादा है. नई फील्ड से निकलने वाली गैस का दाम अब 12.6 डॉलर कर दिया गया है. इस बढ़ोतरी के बाद उत्पादन करने वाली कंपनियों जैसे रिलायंस, ओएनजीसी को फायदा पहुंचेगा.

बता दें कि भारत में जितनी प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल किया जाता है उसका 50 फीसदी गैस का आयात किया जाता है. यह आयात मध्य पूर्व देशों जैसे कतर से होता है. बाकी 50 फीसदी का उत्पादन देश में ही होता है.

रिलायंस ने सरकार से क्या कहा है?

इससे पहले ये समझ लीजिए कि भारत में प्राकृतिक गैस के दाम तय कैसे होते हैं?

भारत सरकार जो फॉर्म्यूला अपनाती है उसके अनुसार इसका दाम तय होता है अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे सर्पलस में गैस उत्पादन करने वाले देशों के औसत दामों से. यानी पिछले एक साल में इन देशों में गैस का क्या दाम रहावहै उसका औसत निकाला जाता है. वही दाम भारत में लागू होता है.

अब जैसे 1 अक्टूबर को तय हुआ दाम जुलाई 2021 से जून 2022 के दामों का औसत है.

लेकिन अब सरकार लाना चाहती है नया फॉर्म्यूला

विदेशों में प्राकृतिक गैस के दामों की कीमत आसमान छूती हैं इसलिए सरकार ने तय किया कि वह एक नया फॉर्म्यूला लेकर आएगी ताकि न प्राकृतिक गैस बनाने वाले का नुकसान हो और ना ही ग्राहकों का नुकसान.

इसलिए सरकार ने तय किया कि उचित मूल्य (फेयर प्राइस टू द एंड कंज्यूमर) के लिए नया फार्म्यूला निकाला जाए. इसके लिए सरकार ने एक पैनल गठित किया जिसका जिम्मा योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारिख के हाथों सौंपा गया. इन्हें 30 सितंबर 2022 तक रिपोर्ट पेश करनी थी लेकिन अब पैनल ने और समय मांगा है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, अब इसी पैनल को रोकने के लिए रिलायंस गैस ने सरकार को कहा है. रिलायंस ने तर्क दिया कि दामों को तय करने की व्यवस्था में बदलाव लाना सही नहीं है और इससे फ्यूल प्रोडक्शन में निवेश को धक्का लगेगा. रिलायंस ने कहा कि उसने अपने केजी डी-6 ब्लॉक (वह फील्ड जहां से गैस निकाली जाती है) में लाखों-करोड़ों का निवेश किया है जिसपर इसका असर पड़ेगा.

जबकि सरकार द्वारा प्राकृतिक गैस की कीमत में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी को शहरी गैस वितरकों (गैस डिस्ट्रिब्यूटर्स) सहित उपयोगकर्ता उद्योगों (गैस का इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्री) ने महंगाई की चिंता का हवाला देते हुए दरों को ठीक करने के लिए कहा है.

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन बढ़ाए गए दामों से गैस का उत्पादन करने वालों को जरूर फायदा मिलेगा लेकिन गैस का वितरण करने वालों के मार्जिन में कमी आएगी यानी उनका नुकसान होगा.

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इससे सरकार को भी नुकसान होगा- रिलायंस

बिजनेस स्टैंडर्ड ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इससे सरकार के अपने लक्ष्य पर भी असर पड़ेगा. सरकार प्राकृतिक गैस के मामले में आत्मनिर्भर होना चाहती है लेकिन कीमतों को तय करने वाली व्यवस्था को बदलने से सरकार का ही नुकसान है.

बता दें कि सरकार 2030 तक ऊर्जा (एनर्जी) के इस्तेमाल में प्राकृतिक गैस के योगदान को 6.7 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करना चाहती है.

रिलायंस के मुताबिक, इस लक्ष्य को पाने के लिए तीन ट्रिलियन रुपए का निवेश चाहिए और यह तभी हो सकता है जब प्राकृतिक गैस के दाम सरकार द्वारा न हो कर मार्केट द्वारा तय हो.

गैसे के दाम में 40% का उछाल, इसका क्या असर होगा? 

प्राकृतिक गैस से केवल गाड़ियों को चलाने के लिए सीएनजी या पीएनजी ही नहीं निकाली जाती बल्कि इससे फर्टिलाइजर्स और बिजली का उत्पादन भी होता है. प्राकृतिक गैस का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बिजली बनाने और फर्टिलाइजर्स बनाने में ही इस्तेमाल में आता है.

सरकार ने भले ही फिलहाल गैस उत्पादकों से गैस लेकर उसका वितरण करने वाले डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए दाम बढ़ा दिए हैं लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ये कीमतें ग्राहकों से ही वसूली जाएगी.

यहां तक की इस 40% कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद मुंबई में महानगर गैस जैसे सिटी गैस ऑपरेटरों ने इस हफ्ते से कंप्रेस्ड प्राकृतिक गैस (सीएनजी) और पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की खुदरा मूल्य में 6 रुपये प्रति किलोग्राम और 4 रुपये की वृद्धि की है.

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