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सऊदी अरब की ओर से तेल उत्पादन में कटौती के ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है. तेल कीमतों पर भारी आलोचना का सामना करे रहे मोदी सरकार ने कीमतें थोड़ी कम होने पर राहत की सांस ले रही है. लेकिन सऊदी अरब के ऐलान ने उसकी चिंता बढ़ा दी है. चुनाव नजदीक आ रहे हैं और अगर फिर तेल की कीमतें बढ़ीं तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
दरअसल, सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फालेह ने सोमवार को कहा कि तेल उत्पादक देशों को कीमतों में जारी गिरावट से उबरने के लिए प्रतिदिन 10 लाख बैरल की कटौती करनी होगी. अल-फालेह ने अबु धाबी में ऊर्जा सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने कल जो तकनीकी विश्लेषण किया उससे पता चला कि हमें बाजार को पुन: संतुलित करने के लिये उत्पादन में प्रति दिन 10 लाख बैरल की कटौती करनी होगी.
फालेह ने कहा, प्रस्तावित कटौती अक्टूबर महीने के उत्पादन स्तर के आधार पर है. उन्होंने कहा कि सउदी अरब बाजार को स्थिर बनाने की दिशा में अगले महीने से उत्पादन में पांच लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करेगा. सउदी अरब सहित ओपेक के 14 देश वैश्विक कच्चे तेल के उत्पादन में एक तिहाई तेल का योगदान करते है. अल-फालेह ने कहा कि तेल उत्पादन में कटौती का कोई भी ओपचारिक निर्णय दिसंबर माह के शेयर में ओपेक और गैर ओपेक देशों के तेल मंत्रियों की वियना में होने वाली बैठक में किया जा सकता है.
अधिक आपूर्ति तथा ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का खास असर नहीं होने के संकेत से पिछले एक महीने में कच्चा तेल की कीमतें करीब 20 प्रतिशत गिर चुकी हैं. हालांकि सउदी अरब द्वारा उत्पादन में कटौती की घोषणा करने के बाद सोमवार को कीमतों में कुछ सुधार देखने को मिला. उन्होंने कहा कि तेल उत्पादक देश वियना सम्मेलन से पहले बाजार के आंकड़ों का मूल्यांकन करते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमें 10 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करने की जरूरत पड़ी, हम करेंगे।'' संयुक्त अरब अमीरात के ऊर्जा मंत्री सुहैल अल-मजरुई ने कहा कि बाजार को संतुलित बनाने के लिये उत्पादकों को रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत होगी.
इनपुट : भाषा
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