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आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड की बैठक शुक्रवार को हो रही है. बैठक के प्रमुख एजेंडे में बाजार में लिक्विडिटी की स्थिति पर चर्चा सबरे ऊपर है. इसके अलावा कई अन्य अहम मुद्दों पर भी चर्चा होगी. शक्तिकांता दास के आरबीआई गवर्नर बनने के बाद आरबीआई बोर्ड की यह पहली बैठक है.
आरबीआई बोर्ड बैठक : अहम मुद्दे
बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक इस बैठक में आरबीआई में गवर्नेंस के मुद्दे सरकार जोर नहीं दे सकती है. सूत्र के मुताबिक गवर्नेंस में सुधार का मुद्दा अभी सरकार के लिए बहुत ज्यादा अहम नहीं है. आरबीआई बोर्ड, आरबीआई में गवर्नेंस के स्ट्रक्चर पर विचार-विमर्श के लिए एक बोर्ड बनाने पर भी विचार कर सकता है. फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेट्री राजीव कुमार और इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रेट्री एस सी गर्ग ने इसका प्रस्ताव रखा था.
विश्लेषकों का कहना है कि शक्तिकांत दास के रिजर्व गवर्नर बनने के बाद सरकार गवर्नेंस के मुद्दे पर फिलहाल वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपनाएगा. पिछले दिनों रिजर्व बैंक के कुछ फैसलों पर सरकार के साथ उसकी भारी तनातनी हो गई थी. उर्जित पटेल के दौर में में 'बंद दरवाजे' की बैठक में फंसे हुए कर्ज की समस्या पर रिजर्व बैंक ने नए मानकों को मंजूरी दी थी. इसे मीडिया में फरवरी 12 सर्कुलर कहा गया था. बहरहाल, उर्जित पटेल के जाने के बाद नए गवर्नर दास की प्राथमिकता फाइनेंशियल सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति का जायजा लेने की होगी. खास कर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के सामने आ रही लिक्विडिटी क्राइसिस की.
सरकार ने आरबीआई से अनुरोध किया था कि वह एनबीएफसी के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने के कदम उठाए. लेकिन आरपबीआई सिस्टम में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है. बोर्ड के सामने वित्त मंत्री अरुण जेटली और उर्जित पटेल की ओर से लिए एक और फैसले के के बारे में जानकारी दी जाएगी.
आरबीआई के इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क की समीक्षा के लिए बनी कमेटी के अधिकार और स्ट्रक्चर पर यह फैसला हुआ था. सूत्रों के मुताबिक आरबीआई के पूर्व गवर्नर विमल जालान इस पैनल के प्रमुख होंगे. जबकि पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन इसकी सह-अध्यक्षता करेंगे.
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