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रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है. इससे पहले भी आरबीआई ने रेपो रेट में 25-25 बेसिस प्वाइंट में कटौती की थी. इससे रेपो रेट छह फीसदी हो गया था. इस बार की 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद यह 5.75 फीसदी हो गया है. रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं. रेपो रेट में कटौती से बैंकिंग सिस्टम में ज्यादा पैसा आएगा और इससे इकोनॉमी को रफ्तार मिल सकती है.अगर बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को दिया तो लोन ईएमआई घट सकती है.
दरअसल आरबीआई ने बाजार में लिक्वडिटी की कमी की वजह से रेपो रेट में कटौती का फैसला किया है. बाजार को उम्मीद थी कि रिजर्व बैंक इस बार अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार को देखते हुए 35 या 50 बेसिस प्वाइंट की कमी कर सकता है. लेकिन महंगाई में बढ़त के आसार को देखते हुए इसे 25 बेसिस प्वाइंट तक ही सीमित रखा गया है .
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट के साथ ही बाजार में लिक्विडिटी की कमी का असर रिजर्व बैंक रेपो रेट कटौती के फैसले में दिखा. दरअसल चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट कर 5.8 फीसदी रह गया है. बाजार में एक लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी की कमी और मानसून पिछड़ने से देश के कुछ इलाकों में सूखे की आशंका ने भी आरबीआई को रेपो रेट में कटौती के लिए प्रेरित किया. अगर बैंकों ने आरबीआई की रेट कटौती का फायदा ग्राहकों को दिया तो लोन ईएमआई कम हो सकती है. हालांकि पिछली दो बार की कटौती का ज्यादा फायदा बैंकों ने अपने ग्राहकों को नहीं दिया है.
आरबीआई ने मॉनेटरी पॉलिसी के ऐलान में जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी से घटा कर 7 फीसदी कर दिया है. पहले जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के दौरान भी जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4 से 6.7 फीसदी कर दी गई है. इससे पहले इस छमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 से 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था.
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