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सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank Crisis) यानी SVB बंद हो गया है, अमेरिका ने मामले को कुछ यूं संभाला कि जितने भी लोगों का पैसा फंसा था वो उन्हें मिल जाएगा. लेकिन 2008 के वित्तीय संकट (2008 Financial Crisis) के बाद ये एक बड़ा बैंक था जो संकट से गुजरा और अब बंद हो गया. हम आपको इस वीडियो में बताएंगे कि भारत इस तरह के संकट को टालने के लिए कितना तैयार है, एसवीबी के साथ ऐसा क्या हुआ कि पूरा बैंक ही डूब गया?
अमेरिका ने एसवीबी को लेकर क्या कहा? अमेरिकी वित्त मंत्री जेनट येलन ने कहा कि वे एसवीबी को बेलआउट नहीं करेंगे यानी बैंक को नहीं बचाया जाएगा लेकिन डिपोजिटर की मदद करने के लिए सरकार तैयार है, वे लोग अपना सारा पैसा निकाल सकते हैं. एसवीबी को बचाने पर उन्होंने जोर देकर कहा कि, "हम फिर से ऐसा नहीं करने जा रहे हैं, आज की जो स्थिति है वो 15 साल पहले के वित्तीय संकट यानी 2008 के संकट से अलग है. हालांकि डिपोजिटर अपना पैसा निकाल पाएंगे"
लेकिन एसवीबी के साथ आखिर हुआ क्या है. सिलिकॉन वैली बैंक कैलिफॉर्निया में स्थित सिलिकॉन वैली में है. सिलिकॉन वैली वो जगह है जहां टेक स्टार्टअप्स से लेकर बड़ी टेक कंपनी जैसे एप्पल भी स्थित है. एसवीबी कई स्टार्टअप टेक कंपनियों को लोन देती थी, भारत में पेटीएम जैसे कई स्टार्टअप को भी एसवीबी लोन दे चुकी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब स्टार्टअप अच्छी कमाई कर रहे थे तब इन स्टार्टअप्स ने अपना पैसा एसवीबी में डिपोजिट कर दिया था. 2021 में एसवीबी ने अपने डिपोजिट का अधिकतर हिस्सा यानी लगभग 128 बिलियन डॉलर को बॉन्ड में निवेश कर दिया था ताकि उन्हें फिक्स रिटर्न मिलता रहे. लेकिन महामारी के बाद से दुनियाभर के स्टार्टअप नुकसान झेल रहे थे या तो बंद हो गए थे. साथ ही महंगाई से निपटने के लिए अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों को बढ़ाकर लोन महंगा कर दिया था इसी वजह से इन स्टार्टअप्स को एसवीबी से अपना डिपोजिट निकालना शुरू करना पड़ा.
बैंक रन की स्थिति में अमेरिकी रेग्युलेटर ने 10 मार्च को एसवीबी बैंक को सीज कर लिया. फेडरल डिपोजिट इंश्यॉरेंस कॉर्पोरेशन को इसका कंट्रोल दे दिया गया. फिर खबर आई कि अमेरिका डिपोजिटर्स की मदद करेगा वे 13 मार्च से अपना पैसा निकाल सकेंगे.
अमेरिका ने संकट को बढ़ने से बचा लिया, जाहिर है 2008 में वैश्विक संकट देखने के बाद ऐसी स्थति से निपटने के लिए अमेरिका तैयार था. लेकिन सवाल है भारत के लिए, आपकी भी छोटी बड़ी बचत बैंकों में जमा है.
आरबीआई की ओर से कहा गया था कि जमाकर्ता हेल्थ इमर्जेंसी की जरूरतों और ऐसी अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में एक लाख रुपये तय की निकासी के लिए रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक से संपर्क कर सकते हैं. एक तरफ भारत में पीएमसी की हालत तो ठीक नहीं हो पाई लेकिन अमेरिका में 10 मार्च को बैंक बंद होने के तीन दिन में मामले को कंट्रोल कर लिया गया. आप सोचिए सुबह उठ कर अगर आपको बैंक से ऐसा चौंकाने वाला नोटिस आ जाए तो क्या होगा?
ऐसी स्थिति से बचने के लिए भारत ने पहले ही कुछ इंपोर्टेंट बैंक की लिस्ट जारी कर रखी है जिसे DSIB यानी डॉमेस्टिक सिस्टमेटिकली इंपोर्टेंट बैंक कहते हैं. आरबीआई का मानना है कि भारत के कुछ बैंक ऐसे हैं जिनपर खतरा होना मतलब भारत की अर्थव्यवस्था पर खतरा. इन बैंकों को सरकार बचाने के लिए हमेशा आगे रहेगी, भारत में इस समय तीन इंपोर्टेंट बैंक हैं- एसबीआई, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी, अगर इन तीन बैंकों पर खतरा मंडराता है तो सरकार इन्हें बचाने का बीड़ा उठाएगी. इसके अलावा आरबीआई ने अपकी बचत को 5 लाख रुपये तक इंश्यॉर्ड किया है, यानी किसी भी बैंक में अगर आपके 3 लाख रुपये जमा हैं और वो बैंक डूब जाए तो आपको आपके पूरे 3 लाख मिल जाएंगे, अगर 10 लाख जमा है तो केवल 5 लाख ही मिल पाएंगे. ये पैसा आरबीआई आपको 2 महीने में लौटाएगा. DSIB पर हमने एक डिटेल में वीडियो बनाया है, डिस्क्रप्शन में जाकर देखें.
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