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जेटली ने भी नहीं सोचा होगा, अपनों ने गिनाईं बजट की खामियां

बजट 2018 में लांग टर्म गेन्स टैक्स और ड्यूटी बढ़ाने का विरोध सरकार के अर्थशास्त्री ही कर रहे हैं 

क्विंट हिंदी
बिजनेस न्यूज
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सरकार में शामिल कई जाने-माने अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बजट के कुछ प्रावधान संरक्षणवादी नीतियों को बढ़ावा देने वाले हैं और इनसे देश में निवेश घटेगा. 
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सरकार में शामिल कई जाने-माने अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बजट के कुछ प्रावधान संरक्षणवादी नीतियों को बढ़ावा देने वाले हैं और इनसे देश में निवेश घटेगा. 
(फाइल फोटो: Reuters)

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वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट को लेकर सवाल और असंतोष दोनों तेजी से बढ़ता जा रहा है. इसकी कई बातों पर तो सरकार में बैठे इकनॉमिस्ट एतराज उठा रहे हैं. इसमें नीति आयोग के मौजूदा उपाध्यक्ष से लेकर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रथिन रॉय शामिल हैं. यही नहीं नीति आयोग छोड़ चुके अरविंद पनगढ़िया भी बजट की कई चीजों से खुश नहीं हैं.

आमतौर पर पॉलिसी से जुड़े मुद्दों पर बहुत सधी प्रतिक्रिया देने वाले आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल को भी लगता है कि बजट के कुछ फैसले पूंजी निवेश में अड़चन बनेंगे. इन अर्थशास्त्रियों के मुताबिक लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से लेकर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का फैसला निवेश के माहौल पर खराब असर डालेगा.

इन्हें लगता है कि इस तरह के कदम सही नहीं हैं क्योंकि भारत ने हमेशा ही संरक्षणवादी नीतियों पर आपत्ति उठाई है.

सरकार के बजट प्रावधानों पर सबसे जोरदार हमला नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने किया है. पनगढ़िया ने इकनॉमिक टाइम्स में लिखा है सरकार ने कई आइटमों पर ड्यूटी बढ़ा कर संरक्षण की एक दीवार खड़ी कर दी है. यह घरेलू मैन्यूफैक्चरर्स को फायदा पहुंचाने के नाम पर किया जा रहा है. लेकिन इससे घरेलू उपभोक्ताओं को  ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. जैसे स्टील की कीमत अधिक होने से रेलवे के विस्तार पर नकारात्मक असर पड़ा है और स्टील के बर्तन का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं के लिए भी महंगाई बढ़ी है. पिछले 50 साल  से हम छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर ये कर रहे हैं लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ है. 

लेकिन सरकार को सबसे तगड़ा झटका प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रथिन राय ने दिया है. उन्होंने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में ढील देने पर सरकार की आलोचना की है क्योंकि इससे विकास दर की रफ्तार धीमी होने का खतरा है.

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने द क्विंट से बातचीत में कुछ बजट प्रावधानों पर तीखे सवाल उठाए थे(फोटो: क्विंट हिंदी)
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यूपीए सरकार में वित्त और गृह मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने सरकार के पाले के अर्थशास्त्रियों की ओर से बजट प्रावधानों की आलोचनाओं के बारे में ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि सरकार के अर्थशास्त्री ही सरकार के कदम की आलोचना कर रहे हैं.

चिदंबरम ने ट्वीट में कहा कि एक के बाद एक सरकार के ही अर्थशास्त्री बजट की आलोचना करने के लिए आगे रहे हैं. अरविंद पनगढ़िया, उर्जित पटेल और राजीव कुमार का नाम गिनाने के बाद उन्होंने लिखा प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के एक और सदस्य सुरजीत भल्ला ने बजट में शेयरों और म्यूचुअल फंड में निवेश पर लांग टर्म निवेश पर टैक्स लगाने की आलोचना की है.

भल्ला नोटबंदी और जीएसटी के मुखर समर्थक रहे हैं. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि उम्मीद है कि ये तमाम बातें अस्थायी होंगी. आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने चेतावनी दी है कि पूंजी पर पांच टैक्स लगाने से निवेश में अड़चनें आएंगी.

चिदंबरम के मुताबिक दुनिया के शेयर एक्सचेंज बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की ओर से डाटा साझा करने पर लगाई रोक की आलोचना कर रहे हैं. सरकार के अर्थशास्त्री ही मान रहे हैं कि यह कदम संरक्षणवादी है. सरकारी अर्थशास्त्रियों की ओर से बजट प्रावधानों पर सवाल उठाए जाने के बाद सरकार को अपना बचाव करना और मुश्किल होगा.

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Published: 13 Feb 2018,06:34 PM IST

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