वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नौकरीपेशा आयकरदाताओं, कंपनियों, आयातकों और शेयर बाजार निवेशकों सब पर टैक्स का बोझ बढ़ा दिया है. अब नए वित्त वर्ष में टैक्स चुकाने के लिए तैयार हो जाएं. हम आपको बताते हैं कि वित्त मंत्री ने कहां-कहां चोट की है और किस-किस को बढ़े टैक्स का दर्द सहना होगा.
सेस को सोंटा
एजुकेशन सेस में एक फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है. इससे आम आयकर दाता और कंपनियों दोनों पर असर पड़ेगा और इससे सरकार और 11,000 करोड़ रुपये जुटा लेगी. वित्त मंत्री ने इस बढ़ोतरी के पीछे यह तर्क दिया है कि इसे गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के हेल्थ और एजुकेशन पर खर्च किया जाएगा.
सरचार्ज का शॉक
वित्त मंत्री ने बड़ी चतुराई से सालाना एक करोड़ या इससे ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज बढ़ा दिया है. अब उन्हें दस फीसदी के बजाय 15 फीसदी सरचार्ज देना होगा. जो लोग 50 लाख से ज्यादा और 1 करोड़ से कम कमा रहे हैं उन्हें अब इनकम टैक्स पर 10 फीसदी सरचार्ज देना होगा. कंपनियों को अब ज्यादा सरचार्ज देना होगा.
कस्टम ड्यूटी बढ़ी
कस्टम ड्यूटी 45 आइटमों में बढ़ा दी गई है ताकि घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को रफ्तार मिले. कॉस्मेटिक, मोबाइल फोन, सिल्क फैब्रिक, जूते-चप्पल, टीवी स्क्रीन पतंग, टीवी स्क्रीन, चश्मे और सेंट स्प्रे पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई है.
खाद्य तेल के आयात पर कस्टम ड़्यटी बढ़ कर 15 फीसदी हो गई है. कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी के साथ ही 10 फीसदी लेवी भी ठोक दिया गया है.
लांग टर्म गेन टैक्स की वापसी
शेयरों में निवेश करने वालों को अब ज्यादा टैक्स देना होगा. लांग टर्म गेन टैक्स की वापसी हो गई है. सरकार ने शेयर से एक लाख रुपये से ज्यादा कमाई पर दस फीसदी टैक्स लगा दिया है.
वित्त मंत्री ने 2015 का बजट पेश करते वक्त यह वादा किया था वह बड़ी कंपनियों पर लगने वाली टैक्स दरों को कम करने की कोशिश करेंगे. लेकिन ऐसा वह अब तक नहीं कर सके हैं.
ये भी पढ़ें : बजट 2018: शेयर और म्यूचुअल फंड की कमाई पर 10% लॉन्ग टर्म टैक्स
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)