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देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की नीति पर सरकार के बढ़ते जोर को देखते हुए इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली मशहूर कंपनी टेस्ला और चीन की कंटपरेरी एम्प्रेक्स टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड ((CATL) यहां बड़ा निवेश करने जा रही हैं. दोनों कंपनियों ने देश में लिथियम आयन बैट्री बनाने में दिलचस्पी दिखाई है. लिथियम आयन बैट्री की बड़ी फैक्टरी लगाने के लिए दोनों मिल कर 50 हजार करोड़ का निवेश कर सकती हैं. इस मेगा प्रोजेक्ट मे चीन की BYD Co. Ltd जैसी कंपनियों ने भी दिलचस्पी दिखाई है.
बिजनेस अखबार मिंट के मुताबिक मोदी सरकार देश को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और उनके पुर्जों का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना चाहती है. सरकार की इस नीति के मद्देनजर ही लिथियम आयन बनाने वाली दिग्गज कंपनियां यहां बड़ा निवेश करना चाहती हैं. इलेक्ट्रिक गाड़ियां लिथियम आयन बैट्री पर ही चलती हैं.
इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने मिंट से कहा कि लिथियम आयन बैट्री बनाने वाली मशहूर कंपनियों के लिए निवेश यह जबरदस्त मौका है. इस बारे में Expenditure finance committee की मीटिंग हुई थी और जल्द ही निवेश के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट में ही बात हो सकती है.
इस निवेश में दिलचस्पी दिखा रही टेसला ने अभी तक भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कार लॉन्च नहीं की है. टेस्ला की सीईओ एलन मस्क ने इसके लिए सरकार के नियमों और भारत में ‘बहुत ज्यादा’ आयात शुल्क को दोषी ठहराया है. जबकि ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नीतिन गडकरी ने कैलिफोर्निया का दौरा कर कंपनी को भारतीय इलेक्ट्रिक कार कंपनियों के साथ मिल कर ज्वाइंट वेंचर लगाने का ऑफर दे चुके हैं. 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी भी टेस्ला के इलेक्ट्रिक कार प्लांट को देखने कैलिफोर्निया गए थे.
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