ऑटो इंडस्ट्री के लिए आने वाले तीन चार महीने ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं. आने वाले त्योहारी सीजन में गाड़ियों की बिक्री को थोड़ी रफ्तार मिल सकती है. लेकिन ऑटो कंपनियों में छंटनी का दौर जारी है. आने वाले महीनों में दस लाख लोगों की नौकरियों पर खतरा बना हुआ है.
मारुति सुजुकी ने हटाए 3 हजार कांट्रेक्ट कर्मचारी
हाल में मारुति सुजुकी इंडिया ने अपने 3000 अस्थायी कर्मचारियों का कांट्रेक्ट रीन्यू नहीं किया. कंपनी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि कांट्रेक्ट कर्मचारियों को इंडस्ट्री में स्लोडाउन की वजह से आगे बरकरार नहीं रखा गया.
इकनॉमिक टाइम्स से एक बातचीत में ऑटोमोटिव कॉम्पोनेन्ट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल विन्नी मेहता ने कहा कि ऑटो सेक्टर में आगले तीन-चार महीने ज्यादा संवेदनशील हैं. मेहता का कहना था कि ऑटो इंडस्ट्री डी-ग्रोथ की ओर जा रही है. कंपनियों को छंटनी करनी पड़ रही है. आने वाले दिनों में कई और कंपनियों को भी ऐसी ही स्थिति से गुजरना पड़ सकता है.
टियर-2 और टियर-3 शहरों की कंपनियों पर ज्यादा खतरा
मेहता का कहना था कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में 400 करोड़ रुपये से कम के टर्नओवर वाली कंपनियों के सामने ज्यादा बड़ा खतरा है. इन कंपनियों से 50 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं. विश्लेषकों का कहना है कि अगले तीन-चार महीने ऑटो इंडस्ट्री के लिए बेहद चुनौती भरे साबित होंगे.
पिछले दिनों फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने दावा किया था कि पिछले तीन महीने के दौरान खुदरा विक्रेताओं ने बिक्री में भारी गिरावट की वजह से करीब दो लाख कर्मचारियों की छंटनी की है.
फाडा ने कहा था कि निकट भविष्य में स्थिति में सुधार की संभावना नहीं दिख रही है जिसकी वजह से और शोरूम बंद हो सकते हैं. छंटनी का सिलसिला जारी रह सकता है.फाडा के अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले ने कहा था कि बिक्री में गिरावट की वजह से डीलरों के पास कर्मचारियों में कटौती का ही ऑप्शन बचा है. सरकार को ऑटो इंडस्ट्री को राहत देने के लिए जीएसटी में कटौती जैसे उपाय करने चाहिए.
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