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रूस-यूक्रेन संकट का असर भारत की फार्मासूटिकल इंडस्ट्री पर भी नजर आ सकता है. यहां की कई घरेलू कंपनियां दोनों देशों में अपनी मजबूत उपस्थिति रखती हैं. फर्मासूटिकल प्रोडक्ट्स भारत से यूक्रेन भेजे जाने वाले प्रमुख निर्यातों में से एक हैं. यूक्रेन को फार्मासूटिकल प्रोडक्ट्स के निर्यात में भारत तीसरे नंबर का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है. भारत का नंबर जर्मनी और फ्रांस के बाद आता है.
भारत की बड़ी फार्मासूटिकल कंपनियां जैसे कि डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज और सन फर्मा, यूक्रेन और रूस में मजबूत पकड़ रखती हैं. रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद जिस तरह भूराजनीतिक संकट गहराता नजर आ रहा है. भारत की फार्मासूटिकल इंडस्ट्री भी इस पर करीब से नजर रखे हुए है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. रेड्डी के प्रवक्ता ने कहा,
भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के तहत आने वाली Pharmaceuticals Export Promotion Council of India (Pharmexcil) के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2021 में भारत ने यूक्रेन को $181 मिलियन तक की फार्मासूटिकल चीजों का निर्यात किया. ये इसके पहले के साल से करीब 44 प्रतिशत की ग्रोथ थी.
फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डी के पास भारत में स्पूतनिक वी और स्पूतनिक लाइट के डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स भी हैं जिसे Gamaleya Research Institute विकसित कर रहा है. इसे रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) का सहयोग है जो रूस का एक स्वायत्त वेल्थ फंड है.
हालांकि, कंपनी ने कहा कि वैक्सीन की सप्लाई इससे प्रभावित नहीं होनी चाहिए. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, स्पूतनिक की सप्लाईज के लिए हमारे पास भारत में मैन्यूफैक्चरिंग की क्षमता है. वहीं जिन चीजों से ये तैयार की जाती है उनका आयात नहीं करना होता इसलिए इस पर असर नहीं पड़ेगा.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सन फार्मा के प्रवक्ता का कहना है कि हम रूस और यूक्रेन में स्थिति पर नजदीक से नजर रखे हुए हैं और बेहतर की उम्मीद करते हैं. दोनों ही देशों में हम अपने कर्मचारियों के संपर्क में हैं. वो सुरक्षित हैं.
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रूस - यूक्रेन संकट का तेल और गैस जैसे कई इंडस्ट्रीज पर असर भी भारत में फार्मासूटिकल इंडस्ट्री को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा.
रूस और Commonwealth of Independent States (CIS) फार्मा परिदृश्य के हिसाब बहुत ही महत्वपूर्ण एक्सपोर्ट मार्केट्स हैं. कुछ भारतीय कंपनियों जैसे डॉ. रेड्डी, ग्लेनमार्क की इस क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति है. सबसे अहम है कि ये इंडस्ट्री क्रूड ऑयल और नैचुरल गैस पर भी निर्भर करती है. इससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट पर सीधा असर पड़ेगा और ये भारत के निर्यात को कम कर सकता है.
यूएन कॉमट्रेड डेटा के अनुसार, साल 2020 में भारत, यूक्रेन के लिए फार्मासूटिकल प्रोडक्ट्स का 15वां सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा आयातक था. भारत के लिए यूक्रेन 23वां सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है और इसी कैटेगरी में भारत के लिए 30वां सबसे बड़ा इंपोर्ट भी है.
कीव में भारतीय दूतावास के मुताबिक, भारतीय फार्मासूटिकल कंपनियों जैसे Ranbaxy, Dr. Reddy’s Laboratories, Sun Group सभी के रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस यूक्रेन में हैं. इन सभी ने मिलकर देश में इंडियन फार्मासूटिकल्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IPMA) बनाया है.
फार्मासूटिकल प्रोडक्ट्स को लेकर भारत का यूक्रेन के साथ एक फायदा पहुंचाने वाला ट्रेड बैलेंस है. साल 2020 के U.N Comtrade डाटा के अनुसार, इसमें भारत का निर्यात $158.1 मिलियन और आयात $3.8 मिलियन है. इस कैटेगरी में भारत का ट्रेड सरप्लस $154.3 मिलियन पर है.
साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, फार्मासूटिकल प्रोडक्ट्स के अलावा यूक्रेन को भारत से जाने वाले प्रमुख निर्यात में इलेक्ट्रिकल और इल्केट्रिक इक्विपमेंट, प्लास्टिक और इससे जुड़ा सामान, ऑयल सीड्स, फल, बीज, अनाज और केमिकल प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं.
वहीं भारत, यूक्रेन से प्रमुख रूप से एनिमल, वेजीटेबल फैट्स और तेल, क्लीवेज प्रोडक्ट्स का भी आयात करता है. साल 2020 में ये करीब 1.6 बिलियन डॉलर के करीब था. वहीं इसमें फर्टिलाइजर्स भी शामिल हैं जिनकी कीमत $232.8 मिलियन डॉलर के करीब है.
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