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बुधवार को जेट एयरवेज ने अपनी सारी उड़ानें बंद कर दी. कर्ज से लदी इस एयरलाइंस को 400 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड भी नहीं मिल सका और पैसे की कमी की वजह से इसे अपना ऑपरेशन पूरी तरह रोक देना पड़ा. अब जेट एयरवेज के 16 हजार कर्मचारियों के सामने नौकरी का संकट खड़ा हो गया है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस इतने गहरे संकट में फंस गई. अब इसका क्या होगा. क्या यह इस संकट से निकल पाएगी.
8000 करोड़ से ज्यादा के कर्ज से लदी जेट एयरवेज के सीईओ (पूर्व) नरेश गोयल से गलितयां हुई उसने इसे जमीन पर ला दिया. आइए देखते हैं उन्होंने क्या गलतियां की
पिछले दो महीनों की लगातार कोशिश के बावजूद जेट को खरीदार नहीं मिल सका है. नरेश गोयल पूरी तरह बोर्ड से हट चुके हैं. दोबारा बोली लगाने की उनकी संभावना भी खत्म हो गई है. जेट की उड़ानें बंद होने से इसके 16 हजार कर्मचारी अब सड़क पर आ गए हैं. अब क्या होगा. क्या जेट का हश्र भी विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस की तरह होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि उड़ानें बंद होने की वजह से जेट का संकट काफी गहरा गया है. अब जेट को इन हालातों को सामना करना पड़ सकता है.
देखना होगा कि जेट एयरवेज को खरीदने के लिए कोई आगे आता है नहीं. जेट को कर्ज देने वाले फिलहाल अपना कर्जा . अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे कर्जदार अपने कर्ज की वसूली के लिए डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं.इससे जेट की संपत्तियां बिक जाएंगी. इसके बाद इसके लिए निवेशक ढूंढना और मुश्किल होगा. हालांकि यह तर्क भी दिया जा रहा है कि जेट को बचाने के लिए DGCA पहल कर सकता है. जेट के कर्मचारियों ने सरकार से दखल की मांग की है. माना जा रहा है कि चुनावी सीजन में सरकार 16 हजार जेट कर्मचारियों का रोजगार बचाने के लिए कोई न कोई कोशिश जरूर करेगी.
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