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इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग और इंजीनियरिंग ग्रुप IL&FS को बचाने के लिए सरकार आगे आ चुकी है. 2009 को सत्यम को बचाने सरकार आगे आई थी. इसके बाद यह पहली कंपनी है जब सरकार किसी डूबती हुई कंपनी को बचाने आगे आई है. lL&FS के नए बोर्ड को 8 अक्टूबर तक कंपनी को उबारने का नया रोडमैप पेश करने की जिम्मेदारी दी गई है.
क्या सत्यम को उबारने की तकनीक IL&FS को उबारने में कामयाब रहेगी. सत्यम और IL&FS के स्ट्रक्चर में अंतर है. सत्यम प्रमोटर की अगुआई वाली कंपनी थी, जबकि IL&FS की शेयरहोल्डिंग बंटी हुई है. दो बड़े शेयर होल्डर हैं एलआईसी और जापान की ओरिक्स कॉर्पोरेशन.
ब्लूमबर्गक्विंट ने इस मामले में दो विशेषज्ञों से बात की. इनमें एक हैं सत्यम बोर्ड को खरीदार खोजने में मदद करने में मददगार रही शार्दुल अमरचंद मंगलदास की मैनेजिंग पार्टनर पल्लवी सर्राफ. दूसरी हैं IL&FS बोर्ड में शामिल हुईं वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट मालिनी शंकर.
पल्लवी सर्राफ के मुताबिक सरकार ने अच्छा कदम उठाया है. नए बोर्ड से भ्रम दूर होगा. यह बोर्ड लंबे समय तक काम करके विश्वास बहाल करेगा. बोर्ड में नए एक्सपर्ट नया रोडमैप तैयार करेंगे. बोर्ड में अऩुभवी लोग हैं.
पल्लवी का कहना है कि नया बोर्ड सिचुएशन का आकलन करे. बोर्ड सिचुएशन का बिजनेस म़ॉडल की पड़ताल करे. समूह की कई सब्सिडियरियां हैं इसलिए इसका बिजनेस काफी पेचीदा हो गया है. उसे यह समझना है कि कंपनियों का पैसा कहां फंसा है. कंपनियों को काम करने में क्या दिक्कत आ रही थी और इन्हें जो घाटा हुआ है उसकी किस हद तक भरपाई हो सकती है.
मालिनी शंकर ने कहा कि नया बोर्ड समूह के बिजनेस का आकलन और इसके काम करने के तरीके, दस्तावेजों और फाइनेंशियल रिकार्ड के मूल्यांकन के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है.
मालिनी से पूछा गया कि क्या इसके शेयरहोल्डर इसमें और पैसा लगाएंगे. इस पर उन्होंने कहा कि यह कहना बहुत जल्दी होगा कि वे क्या करेंगे. लेकिन जहां तक बोर्ड का सवाल है तो इसमें काफी अनुभवी लोग हैं. बोर्ड देखेगा कि क्या संपत्तियों से पैसा हासिल किया जा सकता है. फिर भी बोर्ड को स्थिति का पूरे आकलन के बाद कदम उठाना होगा.
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