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व्यापारियों का संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे को चुनौती देगा. कैट का कहना है कि इस करार में कानूनी रास्तों को तोड़ा-मरोड़ा गया है.
कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बयान में कहा कि सौदे के अस्तित्व में आते ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का उल्लंघन होगा. साथ ही एक कारोबार जगत में असंतुलित प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा.
कैट का कहना है कि वास्तव में इस सौदे के माध्यम से वॉलमार्ट खुदरा कारोबार पर कब्जा करने के अपने छिपे एजेंडा को पूरा करेगी. कैट ने कहा कि वॉलमार्ट कोई ई-कॉमर्स कंपनी नहीं है और इस क्षेत्र में उसकी कोई विशेषज्ञता नहीं है. फिर भी वॉलमार्ट ने अपने असीमित संसाधनों के बल पर फ्लिपकार्ट से यह करार किया है, जिसके जरिये वह खुदरा बाजार में विदेशी उत्पादों का विशाल जाल बिछाएगी.
दोनों व्यापारी नेताओं ने बताया कि उनके वकीलों की टीम सौदे को समझ रही है और जल्द ही इसको चुनौती देने के लिए जरूरी कदम उठाया जाएगा.
वॉलमार्ट इंडिया के चीफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ऑफिसर रजनीश कुमार ने कहा कि कंपनी कई सालों से भारत में काम कर रही है और स्थानीय स्तर पर नौकरियां देने, छोटे किसानों और एसएमई सप्लायर्स से सोर्सिंग के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रही है.
आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच सहित व्यापारियों के संगठनों ने इस सौदे का विरोध किया है और दावा किया है कि इससे छोटे विक्रेताओं के कारोबार को नुकसान पहुंच सकता है. ई-विक्रेताओं के प्रतिनिधि निकाय एआईओवीए ने सरकार से विभिन्न ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस और इन प्लेटफार्मों पर व्यापारियों के प्रति उनकी नीतियों की निगरानी के लिए एक नियामक निकाय बनाने का आग्रह किया है.
बता दें कि अमेरिका की सबसे बड़ी रिटेल चेन वॉलमार्ट ने पिछले दिनों भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीदने की एक डील की है. वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट में 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में खरीदेगी. इस सौदे के बाद फ्लिपकार्ट 20 अरब 80 करोड़ डॉलर यानी 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए की कंपनी हो जाएगी.
(इनपुट: PTI)
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