Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Consumer Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019किसान और मध्यम वर्ग ने उठाया देश को मंदी से निकालने का बीड़ा

किसान और मध्यम वर्ग ने उठाया देश को मंदी से निकालने का बीड़ा

जुलाई-सितंबर तिमाही में फार्म सेक्टर में 3.4% की वृद्धि देखी गई

क्विंट हिंदी
कंज्यूमर
Published:
सांकेतिक तस्वीर
i
सांकेतिक तस्वीर
(फोटो: iStock)

advertisement

शुक्रवार 27 नवंबर को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर -7.5% की रही. पहली तिमाही में -23.9% का आंकड़ा रहने के बाद यह अनुमानित -8.8% से बेहतर प्रदर्शन था. लॉकडाउन के बाद संभलने की कोशिश करती हुई अर्थव्यवस्था के लिए अभी गांव के किसानों और मध्यम वर्ग की मांग संजीवनी का काम कर रही है. आइए समझते हैं कि कैसे आर्थिक रिकवरी में इनका योगदान काफी अहम है-

किसान बढ़ा रहे हैं मांग

गांवों में कोरोना का प्रभाव शहरों से कम दिखा है. इसके साथ ही पिछले 2 सीजन में अच्छी बारिश के कारण भी किसानों की आय बेहतर रही है. अच्छे हालात के दम पर सितंबर क्वार्टर में फार्म (Farm) सेक्टर में 3.4% की वृद्धि देखी गई. इस आय में बढ़ोतरी का इस्तेमाल किसान अपनी अहम जरूरतों जैसे ट्रैक्टरों की खरीद में कर रहे हैं. जानकारों का मानना है कि ट्रेन और अन्य यातायात सुविधाओं में कमी के कारण ग्रामीण भारत में निजी गाड़ियों की भी मांग पर पॉजिटिव असर पड़ा है. इन फैक्टरों के अलावा ग्रामीण भारत अन्य लॉन्ग टर्म जरूरतों पर खर्च कर रहा है. बढ़ती बिजली खपत से भी इकनॉमिक रिकवरी की कोशिशों को सहायता मिली है. आने वाले सीजन के लिए भी उपज की दृष्टि से किसानों के लिए संकेत अच्छे हैं.

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने जहां जुलाई से सितंबर के बीच पूरे भारत में 4% मांग में बढ़ोतरी देखी वही रूरल इंडिया में यह वृद्धि 10% की रही.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Q2 में सेक्टरों का प्रदर्शनवैभव पलनीटकर/क्विंट हिंदी

छोटे शहरों और मध्यम वर्ग की जिद्द भी कर रही मदद

कोरोना के कारण आए लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव स्पष्ट तौर पर निम्न और मध्य-वर्ग पर पड़ा था. सामान्य होते हालात के बीच कुछ अहम सेक्टर तेजी की तरफ कदम बढ़ाने लगे हैं. दूसरी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 0.6% का ग्रोथ एक अच्छा संकेत है. इसी तरह होटल, एयरलाइन्स जैसे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों को भी अब फिर से उठने को आतुर मिडिल क्लास का काफी सहारा मिलने लगा है. इंडस्ट्रियल क्षेत्रों वालों और किफायती होटलों में चमक लौटती दिख रही है. जबकि कॉर्पोरेट और बड़े होटलों को रिकवरी में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है. इसी तरह एयरलाइन्स क्षेत्र में भी धीरे धीरे रौनक बढ़ने लगी है. जून के 20 लाख पैसेंजर से अक्टूबर में विमान यात्री दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 50 लाख हो गए थे. फ्लाइट संचालकों के अनुसार इसका बड़ा श्रेय छोटे, मझौले इंटरप्राइजेज (SME) को दिया जाना चाहिए.

ऑनलाइन ट्रैवल एवं होटल बुकिंग एजेंसी मेक माय ट्रिप (MakeMyTrip) के अनुसार SMEs ने कोविड से पहले के स्तर की तुलना में होटल बुकिंग्स के रिकवरी में 35-40% योगदान दिया है. इसी तरह फ्लाइट्स के लिए उनका योगदान करीब 27-32% के बीच रहा.

आगे चुनौतियां क्या हैं?

हालांकि ग्रामीण भारत और छोटे शहरों के मध्यम वर्ग की तरफ से मांग बढ़ने लगी है, लेकिन जब तक सारे सेक्टरों में सुधार नहीं आता तब तक इस बड़े आर्थिक संकट से उबरना आसान नहीं होगा. उदाहरण के तौर पर विस्तारा और इंडिगो की फ्लाइट्स के लिए मांग में बड़ा इजाफा हुआ है, फिर भी यह पहले की तुलना में बढ़त नाकाफी है.

हालांकि रिकवरी के मामलें में रूरल इंडिया लीड कर रहा है, यह पूरे इंडिया को नहीं उठा सकता.
रॉयटर्स से शशांक श्रीवास्तव, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सेल्स एवं मार्केटिंग, मारुति सुजुकी इंडिया

इसी तरह क्वांट'इको रिसर्च (QuantEco research) की युविका सिंघल कहती हैं कि भारत अभी भी लोअर GDP बेस पर बढ़ रहा है और खोए हुए आउटपुट को प्राप्त करने में 1 साल से भी ज्यादा समय लगने की उम्मीद है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT