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जब इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें घट रही थीं तो सरकार ने ड्यूटी बढ़ाकर इस गिरावट का फायदा आम आदमी तक नहीं पहुंचने दिया. अब जब बाहर तेल की कीमत बढ़ रही है और कई शहरों में पेट्रोल 100 के पार पहुंच चुका है तो केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कह रहे हैं कि क्रूड ऑयल की इंटरनेशनल कीमतों के चलते देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. लेकिन क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का देश के आम आदमी और सरकार पर क्या असर पड़ेगा ये समझने की जरूरत है
ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों में मई 2019 के बाद से सबसे बड़ा उछाल देखने को मिला है. क्रूड ऑयल की कीमत 71 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर पहुंच चुकी है. भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या है कि उसे अपनी खपत का आधे से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से इंपोर्ट करना होता है.
क्रूड ऑयल और भारतीय इकॉनमी पर इसके असर को लेकर हमने ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा से बात की. उन्होंने बताया कि, अब जैसे-जैसे दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्थाएं खुल रही हैं, वैसे ही तेल की डिमांड भी बढ़ रही है. जिसके चलते क्रूड ऑयल आज रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है. उन्होंने कहा,
पिछले 6 महीने में तेल की कीमतें 90 रुपये से 100 रुपये या किन्हीं शहरों में 105 रुपये तक पहुंच चुकी है. यानी करीब 10 रुपये से ज्यादा का इजाफा हुआ है. पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों में बराबर का इजाफा हुआ है. जिसका सीधा असर महामारी में पहले ही कंगाल और बेरोजगार हो चुके आम लोगों पर पड़ा है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत को मदद मिलती है. क्रूड ऑयल के दाम में हर 10 डॉलर की गिरावट भारत को करीब 15 बिलियन डॉलर की मदद करता है. जो भारत की जीडीपी का 0.5% है. इसीलिए क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट से भारत को फिस्कल डेफेसिट (राजकोषीय घाटा) और इंफ्लेशन में फायदा मिलता है.
क्योंकि काफी कम बार देखा गया है कि कच्चे तेल की कीमतें कम होने पर सरकार टैक्स में कटौती करती हो या फिर तेल के दाम भी उसी तरह सस्ते होते हों. जब कच्चे तेल की कीमतें गिर गई थीं, तब भी भारत में तेल की कीमतों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा था. जिससे इसका सीधा फायदा सरकार को ही पहुंचता है.
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने क्रूड ऑयल की कीमतों पर कहा कि, फिलहाल क्रूड ऑयल की कीमतों पर बहुत ज्यादा राहत मिलना संभव नहीं है. पिछले साल जहां मांग काफी कम थी और कीमतें शून्य तक पहुंच गई थीं, वहीं अब दुनिया में वैक्सीनेशन के बाद कई देश खुल रहे हैं तो क्रूड ऑयल की डिमांड बढ़ी है. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था अब भी तेल पर चलती है. हो सकता है कि अगले 6 महीने बाद क्रूड ऑयल की कीमतें कुछ कम हों, लेकिन तब तक कोई राहत की उम्मीद नहीं है.
भारत के लोगों को तेल की कीमतों पर राहत कब तक मिलेगी? इस सवाल के जवाब में तनेजा ने कहा कि,
क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल की बात करें तो इस साल की शुरुआत से ही लगातार इसकी कीमतों में इजाफा हो रहा है. 2021 की शुरुआत में क्रूड ऑयल की कीमत करीब 52 डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन 6 महीने में ही ये 70 डॉलर के पार पहुंच गई. पिछले साल जब दुनियाभर में लॉकडाउन लगाया जा रहा था तो क्रूड ऑयल की कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ चुकी थी. जिसकी वजह से ऑयल प्रोड्यूस करने वाले देशों ने इसमें कटौती करनी शुरू कर दी. सऊदी अरब ने रोजाना 1 मिलियन बैरल की कटौती कर दी थी.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में की गई कटौती को वापस लेने से कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है.
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