advertisement
कोरोना वायरस की दूसरी लहर का इकनॉमी पर असर उभरकर सामने आने लगा है. तमाम चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को लेकर खराब संकेत मिल रहे है. वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अप्रैल में 10.1% की विकास दर का अनुमान लगाया था लेकिन 8 जून को इसे घटाकर 8.3% कर दिया गया.
वर्ल्ड बैंक को मंगलवार को जारी कि गयी अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया कि भारत में वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही के दौरान आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौटने लगी थीं. इसके बाद अचानक आई महामारी की दूसरी लहर ने सेवा क्षेत्र समेत सभी सेक्टर्स पर उम्मीद से ज्यादा बुरा असर डाला है. इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुनिया की किसी भी दूसरी अर्थव्यवस्था के मुकाबले ज्यादा बुरा असर पड़ा है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था में साल 2019 में 4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी.
वर्ल्ड बैंक का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 के बजट के जरिये महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे पर ज्यादा खर्च की नीति से लाभ होगा. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्योगों को आर्थिक मदद मुहैया कराना और नॉन परफॉर्मिंग लॉस के नियमों में ढील देने से कारोबारियों को राहत मिली है.
हालांकि, ऐसे उपायों को बढ़ाने और नए सिरे से स्वास्थ्य व आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के लिए नीतिगत समर्थन की जरूरत पड़ सकती है. इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य खर्च पर बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान में 2.9 फीसदी अंकों का बदलाव किया गया है. यह कोविड-19 की दूसरी लहर और मार्च 2021 के बाद से स्थानीय प्रतिबंधों से हुए आर्थिक नुकसान को दिखाता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)