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घरों के दाम घट गए हैं लेकिन खरीदने वाले नहीं बढ़े हैं. यानी रियल एस्टेट सेक्टर नोटबंदी के झटके से अब तक उबर नहीं पाया है. हर जगह घरों की कीमत कम हुई हैं लेकिन इसके बावजूद घर के दाम ना बढ़ने का मतलब है कि मांग नहीं बढ़ी है. इन सबके बाद भी नए प्रोजेक्ट लॉन्च में कोई कमी नहीं आई है.
कस्टमर के लिए सबसे अच्छी बात ये है कि नए प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहे हैं उनकी कीमत कम रखी गई है. जनवरी-जून में नए प्रोजेक्ट लॉन्च 46 फीसदी बढ़ गए हैं. लेकिन सरकार की तमाम योजनाओं का असर बिक्री में नहीं दिख रहा है. जनवरी से जून के दौरान होम सेल में केवल 3 फीसदी की वृद्धि हुई.
प्रॉपर्टी पर इस रिपोर्ट के मुताबिक जो नए प्रोजेक्ट लॉन्च हुए हैं उनमें ज्यादातर कम कीमतों वाले हैं. आधे से ज्यादा (51%) फ्लैट 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले हैं. नए प्रोजेक्ट के मामले में मुंबई नंबर वन है जहां इसमें 128 परसेंट बढ़ोतरी हुई है. वहीं दिल्ली-एनसीआई और पुणे में ये 75 परसेंट रही.
नवंबर 2016 में नोटबंदी हुई, इससे रियल एस्टेट इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा. इसके कुछ ही महीने बाद नया हाउसिंग लॉ 'रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट' आया. सेल्स और नए प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग लटक गई.
डेवलपर्स का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाउसिंग स्कीम से थोड़ा फायदा हुआ. खास तौर पर सस्ते घरों की डिमांड बढ़ी. लेकिन फिर भी नोटबंदी से लगे झटके से रियल एस्टेट इंडस्ट्री अब तक उबर नहीं पाई.
नए प्रोजेक्ट लॉन्च होने का मतलब नहीं कि डिमांड बढ़ गई है. मुंबई में नए प्रोजेक्ट लॉन्च होने में 128 फीसदी की बढोतरी आई है.
डिमांड को बढ़ाने के लिए डेवलपर्स ग्राहकों को 24 महीने की किराए की गारंटी, स्टांप ड्यूटी माफी जैसे ऑफर दे रहे हैं. फिर भी लोग घर खरीदने के लिए ज्यादा जोश नहीं दिखा रहे हैं.
(इनपुट- ब्लूमवर्ग)
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