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होटल या रेस्त्रां अगर आपसे बोतलबंद पानी या कहें पैकेज्ड वॉटर के लिए ज्यादा पैसा वसूलते हैं तो तो आपको शिकायत करने के बजाए अपनी जेब ढीली करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने एक तरह से पैकेज्ड खाने के आइटम के लिए एमआरपी से ज्यादा दाम वसूलना सही ठहरा दिया है.
मनमाफिक दाम तय करने की मंजूरी मिलने से होटल मालिक गदगद होंगे. लेकिन कंज्यूमर के लिए यह बड़ा झटका है. सुप्रीम कोर्ट ने एमआरपी से ज्यादा दाम लेने को दंडनीय अपराध मानने की सरकार की दलील खारिज कर दी.
सरकार ने दलील दी थी कि पैकेज्ड आइटम पर एमआरपी से ज्यादा दाम वसूलना माप तौल कानून (लीगल मेट्रोलॉजी कानून) का उल्लंघन है. ऐसा करने पर जेल के साथ 25 हजार रुपए का जुर्माना भी हो सकता है.
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अदालत ने कहा कोई भी होटल में मिनरल वॉटर खरीदने नहीं जाता. होटल पैकेज्ड खाने के सामान के साथ अपना सर्विस चार्ज जोड़ सकते हैं. हालांकि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने अपनी दलील में कहा था कि एमआरपी से ज्यादा दाम लेकर होटल और रेस्त्रां एक तरह से टैक्स चोरी कर रहे हैं. सरकार के मुताबिक होटल वाले लागत मूल्य पर पैकेज्ड वॉटर खरीदते हैं इसलिए अगर एमआरपी से ज्यादा में बेचते हैं तो सरकार को सर्विस टैक्स या एक्साइज ड्यूटी का नुकसान है.
पैकेज्ड पानी को एमआरपी से ज्यादा वसूले जाने का मामला साल 2003 से गरम है. होटल वाले अड़े हुए थे कि उन्हें एमआरपी से ज्यादा वसूलने का अधिकार है. लेकिन 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी दलील खारिज कर दी थी. इस फैसले के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान को एयरपोर्ट से लेकर जहां तहां होटलों और रेस्त्रां में पैकेज्ड पानी के दाम ज्यादा वसूलने की ढेरों शिकायतें मिलीं. जिस पर कार्रवाई करते हुए मंत्रालय ने आदेश दिया कि मॉल., होटल, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन या फिर होटल कहीं भी बोतलबंद पानी के दाम एमआरपी से ज्यादा नहीं हो सकते.
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर होटल और रेस्त्रां वाले मनमाफिक दाम वसूलने का हक है तो क्या कंज्यूमर के पास कोई विकल्प नहीं है? लोगों क्या अब पैकेज्ड वॉटर बाहर से खरीदकर ही होटल या रेस्त्रां के अंदर जाना चाहिए? लेकिन क्या होटल और रेस्त्रां वाले ये करने देंगे. ज्यादातर होटल और रेस्त्रां में नोटिस लगा होता है कि बाहर से खाने-पीने पीने की चीजें लाने की इजाजत नहीं है.
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