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सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट ग्रुप आम्रपाली के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है. निवेशकों से पैसे लेने के बाद भी मकान नहीं देने के मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि अथॉरिटी और बिल्डर मिले हुए हैं और इस वजह से खरीदारों को काफी तकलीफ झेलनी पड़ी है. मकान से महरूम खरीदारों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की. 30 अप्रैल से ही इस मामले में सुनवाई जारी है. गुरुवार को भी इस पर सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिल्डर ने अथॉरिटी और बैंककर्मियों से मिल कर खेल किया है और इससे मकान खरीदारों को दर-दर भटकना पड़ा . लेकिन इस ऊंचे खेल में शामिल कोई भी कितना पावरफुल हो, उसे छोड़ा नहीं जाएगा. उसके खिलाफ आपराधिक मामले में कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने कहा कि आम्रपाली ने अथॉरिटी और बैंक के साथ मिलकर नियमों को तोड़ा और ऊंची-ऊंची बिल्डिंगें खड़ी कर ली. हम भ्रष्टाचार के लिए मौत की तो सजा नहीं दे सकते लेकिन 'फर्स्ट डिग्री की क्राइम' करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित आम्रपाली ग्रुप के ऐसे ग्राहकों की याचिकाओं की सुनवाई कर रहे थे, जिन्हें मकान नहीं मिला है. ऐसे 42 हजार मकान हैं जिनका कब्जा नहीं दिया गया है.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ओर से नियुक्त फॉरेंसिक ऑडिटरों ने बताया था कि आम्रपाली बिल्डर्स ने फ्लैट खरीदारों के 3,500 करोड़ रुपये डायवर्ट किए हैं. खरीदारों ने जो पैसे निवेश किए थे, उन पैसों से प्रमोटर्स और डायरेक्टर ने अपना साम्राज्य खड़ा किया है. इन्होंने अपनी जेब से एक भी पैसा बिजनेस में नहीं लगाया.
अदालत ने कहा, ‘’ हमें मालूम है कि रियल एस्टेट सेक्टर में किस तरह का करप्शन चल रहा है और किस तरह अधिकारी बिल्डर्स से मिलीभगत के जरिये पैसे बना रहे हैं. .यह खुलेआम हो रहा है.
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