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आर्थिक मोर्चे से बुरी खबरों केआने का सिलसिला लगातार जारी है.जीडीपी ग्रोथ रेट के गिर कर साढ़े छह साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के बाद अब कोर सेक्टर के ग्रोथ में भी गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल जुलाई में कोर सेक्टर की ग्रोथ 7.3 फीसदी थी लेकिन इस साल जुलाई में यह घट कर 2.1 फीसदी पर पहुंच गई है. कोर सेक्टरों में बिजली, स्टील, रिफाइनरी प्रोडक्ट, क्रूड ऑयल, कोल, सीमेंट, नेचुरल गैस और फर्टिलाइजर सेक्टर शामिल हैं. नए PMI आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक आठ कोर सेक्टरों में से पांच के ग्रोथ में गिरावट दर्ज की गई है. कोयला, कच्चा तेल, नेचुरल गैस और रिफाइनरी प्रोडक्ट सेक्टर की जुलाई में ग्रोथ नकारात्मक रही है.दरअसल मांग और निवेश में कमी से इकनॉमी के लगभग हर सेक्टर का प्रदर्शन गिरता जा रहा है. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घट कर पांच फीसदी पर पहुंच गई. यह साढ़े छह साल का न्यूतम स्तर है. लगातार पांचवीं तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में गिरावट दर्ज की गई है.
शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पहली तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5 फीसदी के स्तर पर आ गई. पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में यह 5.8 फीसदी थी. दरअसल खपत में आई भारी गिरावट की वजह से GDP के आंकड़ों में इतनी भारी गिरावट आई है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की GDP ग्रोथ 6.7 फीसद रहने का अनुमान लगाया था. हालांकि बाद में इसने इसे रिवाइज कर घटा दिया था. सरकार की ओर से कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में यह गिरावट साइक्लिक है, स्ट्रक्चकरल नहीं है.
इस बीच, सरकार इकनॉमी को पटरी पर लाने की कोशिश में लगी है. पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बाद के एक इकनॉमी को राहत देने के लिए कई उपायों की घोषणा की. उन्होंने पहले एफपीआई पर लगे सरचार्ज खत्म करने का ऐलान किया. इस ऐलान में ऑटो सेक्टर को भी कुछ सहूलियत दी गई. वहीं दो दिन पहले उन्होंने दस बड़े बैंकों के विलय का ऐलान किया. इससे बैंक सेक्टर में मजबूती आने की संभावना जताई जा रही है.
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