advertisement
यस बैंक ने दिवालिया हो चुकी ट्रैवल कंपनी कॉक्स एंड किंग्स का फॉरेंसिक ऑडिट कराया है जिसकी रिपोर्ट अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के हाथ लगी है. रिपोर्ट में यस बैंक के प्रमुख रहे राणा कपूर के कंपनी को कर्ज देने में कई कथित गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है.
इसके अलावा ट्रैवल कंपनी ने बेइमानी से पैसा निकालने के लिए 2015 से 2019 के दरमियान चार साल में 21 हजार करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन किए, रिकॉर्ड्स में गड़बड़ी की, नियमों को ताक पर रखते हुए 11 हजार करोड़ का कर्ज लिया, 9 हजार करोड़ रुपये की 160 कस्टमर्स को बोगस सेल्स दिखाई.. कंपनी पर ये तमाम आरोप लगे हैं.
कॉक्स एंड किंग्स के प्रमोटर और कंट्रोलर हैं अजय अजीत पीटर केलकर और उनका परिवार. इस कंपनी को रीपेमेंट डिफॉल्ट करने के बाद अक्टूबर 2019 में बैंकरप्सी कोर्ट के लिए भेजा गया. कंपनी के प्रमोटर कंपनी में 12.20% की हिस्सेदारी रखते हैं वहीं बाकी की 87.80% हिस्सेदारी पब्लिक है.
ट्रैवल एंड टूर कंपनी को बैंक और बाकी फाइनेंशियल संस्थाओं के 5,500 करोड़ रुपये चुकाने हैं. कंपनी ने यस बैंक से भी भारी भरकम कर्ज लिया था जब यस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर बैंक के प्रमुख थे. यस बैंक का अभी कॉक्स एंड किंग्स में एक्सपोजर 2,267 करोड़ रुपए का है. पिछले महीने अजय अजीत पीटर केरकर को एनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट ने राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ करने के लिए समन किया था. राणा कपूर फिलहाल जेल में हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने कई कंपनियों को लोन जारी करने में रिश्वत ली और अब उनमें से कई कंपनियों ने डिफॉल्ट कर दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक फॉरेंसिक ऑडिट में बताया गया है कि कॉक्स एंड किंग्स को यस बैंक ने जो कर्ज दिया उसमें बैंक के बोर्ड से जरूरी अप्रूवल नहीं लिए गए और लोन एग्रीमेंट भी नहीं किया गया. जांच में पाया गया है कि ट्रैवल कंपनी ने कर्ज में दबी हुई औ फिर बाद में दिवालिया हुई एक कंपनी आलोक इंडस्ट्रीज को 1100 करोड़ रुपये दिए. वो भी तब जब आलोक इंडस्ट्रीज के साथ कंपनी के कोई कारोबारी संबंध नहीं थे. खास बात ये है कि जब लोन दिया गया तब आलोक इंडस्ट्रीज के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर सुनील खंडेलवाल थे. जो कि कॉक्स एंड किंग्स के CFO अनिल खंडेलवाल के भाई हैं.
जांच रिपोर्ट के मुताबिक ‘पहली नजर में ये पता चलता है कि ये कर्ज बिना किसी कागजी कार्यवाही और मंजूरी के दिया गया. इससे शक होता है कि ये ट्रांजैक्शन बेइमानी से फंड चुराने के लिए किए गए.’
इंडियन एक्सप्रेस ने इससे जुड़े सवाल अजय अजीत पीटर केरकर, अनिल खंडेलवाल और कॉक्स एंड किंग्स को भेजे हैं.
2017 में आलोक इंडस्ट्रीज 29,500 करोड़ के रीपेमेंट न कर पाने के चलते दिवालिया हो गई और इस कंपनी को जेएम फाइनेंशियल और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्लान के तहत 5,050 करोड़ रुपए में खरीद लिया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)