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Digital Currency |UPI vs eRUPI: कैसे लेगा ई रुपी यूपीआई की जगह?

UPI vs eRUPI: आने वाले समय में अगर यूपीआई पर चार्ज लगेगा तो डिजिटल करेंसी ई रुपी का इस्तेमाल बढ़ जाएगा.

प्रतीक वाघमारे
बिजनेस
Published:
<div class="paragraphs"><p>Digital Currency:क्या है ई-रुपी,लोगों तक कब पहुंचेगी, ये क्रिप्टो से कैसे अलग है</p></div>
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Digital Currency:क्या है ई-रुपी,लोगों तक कब पहुंचेगी, ये क्रिप्टो से कैसे अलग है

फोटो- क्विंट हिंदी

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भारत में RBI ने अपनी डिजिटल करेंसी (Digital Currency) ई रुपी (eRupi) लॉन्च कर दी है. ये फिलहाल एक्सपेरिमेंट के लिए जारी किया गया है. होलसेल के लिए जारी ई-रुपी का इस्तेमाल इंस्टिट्यूशन के बीच जैसे बैंक्स और सरकार के बीच होने वाला ट्रांजेक्शन होगा और eRupi-R यानी रिटेल इसका इस्तेमाल आप और हम जैसे आम लोग करेंगे. हम आपको यूपीआई और ई रुपी के बीच का अंतर समझाएंगे, जब यूपीआई है तो लोग क्यों डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे, ये बताएंगे, बैंकों पर इसका क्या असर पड़ सकता है और थोड़ी बात इससे जुड़े फ्रॉड पर भी करेंगे.

क्या है ई रुपी?

स्कूटी के आगे ई लगा और स्कूटी बिजली से चार्ज हो कर दौड़ने लगी, कॉमर्स के आगे ई लगा और आप बिना बाजार जाए ऑनलाइन शॉपिंग करने लगे वैसे ही रुपी के आगे लगा ई यानी पैसों का लेनदेन ऑनलाइन.

सिक्के और नोटों की तरह ही जारी होगा ई रुपी

ई रुपी भी 1, 2, 5, 10 या 20 रुपए सिक्के या 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 के नोटों की तरह की जारी किए जाएंगे यानी 100, 200 या 500 रुपए का ई रुपी होगा.

कैसे होगा ई रुपी का इस्तेमाल?

इसका इस्तेमाल आज हो रहे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की तरह ही होगा. जैसे आप UPI के जरिए स्कैन करके 1000 रुपए पे करते हैं वैसे ही 1000 ई रुपी यानी 500-500 के दो ई रुपी आप स्कैन करके पे कर पाएंगे.

ई रुपी के साथ क्या अलग बात है?

पेमेंट करने के मामले में ये ज्यादा अलग नहीं है. ई रुपी के लिए आपके फोन में एक ई वॉलेट होगा जिसमें ई रुपी स्टोर किया जाएगा और दुकानदार के मांगने पर आप सिंपली ई रुपी को स्कैन कर अपने वॉलेट के जरिए पेमेंट कर पाएंगे.

फिर UPI से कैसे अलग है ई रुपी?

पहला, ई रुपी को आप नोटों या सिक्कों में नहीं बदल पाएंगे. अगर ई रुपी 500 का है तो उसे एटीएम के जरिए नहीं निकाला जा सकता और 500 रुपये के नोट में कभी नहीं बदला जा सकता, बैंक के जरिए भी ऐसा नहीं हो पाएंगे. फिलहाल यही जानकारी है.नोटों को आप ई रुपी में कंवर्ट करवा पाएंगे, इसकी भी साफ जानकारी नहीं है. दूसरा, ई रुपी का वॉलेट यूपीआई की तरह किसी बैंक से जुड़ा नहीं रहेगा. ई रुपी का वॉलेट सीधे आरबीआई के अंडर रहेगा. यानी ई रुपी के इस्तेमाल के लिए बैंक का कोई झंझट नहीं रहेगा, ई वॉलेट से पैसे भेजने के लिए इंटरनेट की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. तो ई रुपी बैंक के पास नहीं रहेगा यानी इस पर कोई इंट्रेस्ट भी नहीं मिलेगा, ई वॉलेट की देखरेख भले ही RBI करेगी लेकिन वो आपको ब्याज नहीं देने वाली.

जब UPI है तो क्यों करें ई रुपी का इस्तेमाल?

UPI फ्री है, लाखों रुपये का लेनेदेन इंस्टेंट्ली बिना किसी चार्ज के हो जाता है फिर आप क्यों ई रुपी का इस्तेमाल करेंगे? पिछले तीन साल में UPI ट्रांजेक्शन 1000% की दर से बढ़े हैं. लेकिन UPI ट्रांजेक्शन पर बैंकों को कुछ न कुछ खर्च आता है, औसतन ये खर्च 2 रुपये है. UPI के जरिए पेमेंट करने पर आपके खाते से डेबिट होने से लेकर क्रेडिट होने तक कुछ खर्च तो आता है लेकिन फिर भी यूपीआई फ्री है. क्योंकि सरकार ने इसे फ्री रखा है, अब ये खर्च खुद बैंक उठाते हैं सरकार इन बैंकों को सब्सिडी देती है. पिछली बार सब्सिडी 1300 करोड़ रुपये की थी. लेकिन 2021-22 में UPI के जरिए कुल 84 लाख करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन हुए जिसका खर्च 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा था. याद होगा कि हाल में आरबीआई ने UPI पर चार्ज लगाने की बात कही थी लेकिन हंगामे के बाद यह फैसला वापस लिया गया था. वहीं ई रुपी के लेनदेन पर कोई खर्च नहीं आएगा क्योंकि इसमें कोई बैंक शामिल नहीं है. तो अब ये कहा जा सकता है कि आने वाले समय में UPI पर जरूर चार्ज लग सकता है.

इकनॉमी को फायदा, बैंकों को नुकसान?

ई रुपी के आने से नोटों के साथ होने वाली सारी परेशानी जैसे चोरी, जल जाना, फट जाना, गुम जाना ये सब नहीं होगा, नोटों को छापने का कोई खर्च नहीं होगा, पर्यावरण को इससे होने वाला नुकसान कम होगा. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है जब भी ब्याज दरों में कमी आएगी तब कोई भी अपना पैसा सेविंग अकाउंट में नहीं रखना चाहेगा, लोग ज्यादा ई रुपी का ही इस्तेमाल करने लगेंगे. बैंक आपके सेविंग अकाउंट के पैसों का इस्तेमाल करके ही लोगों को लोन देता है और ब्याज दर वसूल कर प्रॉफिट कमाता है लेकिन अगर सेविंग अकाउंट में लोग पैसा नहीं रखना चाहेंगे तो बैंकों का काम कैसे चलेगा?

सरकार का कहना है कि फेक करेंसी जैसी समस्याएं ई रुपी के आने से कम होगी, माना जा सकता है लेकिन देश में ऑनलाइन फ्रॉड की कमी नहीं है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2021-22 में ATM/debit/credi card, internet banking से जुड़े कुल 128 करोड़ का फ्रॉड हुआ, 16,450 केसेस दर्ज हुए जिसमें से 50% केसेस का निपटारा ही हुआ है. सरकार ने कहा है कि फ्रॉड के मामलों में 15% की कमी आई है. लेकिन क्या इस बात की गारंटी है कि डिजिटल वॉलेट में सेंधमारी नहीं होगी?

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