रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) या डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का पायलट (टेस्टिंग) प्रोजेक्ट 1 दिसंबर को लॉन्च करेगी. यह आम लोगों के लिए इस्तेमाल में आने वाली करेंसी होगी यानी ई रूपी (रिटेल. यह करेंसी ई-रुपी (eRUPI) कहलाएगी, जिसे पहले ही होलसेल के लिए जारी (पायलट) किया गया है जो क्रिप्टोकरेंसी से अलग होगी.
क्या है डिजिटल करेंसी ई-रुपी? सीबीडीसी? कौन इसका इस्तेमाल करेगा? ये क्रिप्टो से कैसे अलग है?
Digital Currency: आम लोगों के लिए 1 दिसबंर से लॉन्च होगा e₹ का पायलट, UPI से अलग
1. क्या है डिजिटल करेंसी ई-रुपी और सीबीडीसी?
बता दें कि जिस तरह से भारतीय रुपया सिक्के (1, 2, 5, 10, 20) और नोट (10, 20, 50, 100, 200, 500, 2000) के रूप में जारी होता है वैसे ही इसी डिनोमिनेशन में डिजिटल करेंसी भी जारी होगी. यह यूपीआई से पूरी तरह से अलग होगी. यूपी आपके फिजिकल कैश का डिजिटल वर्जन है लेकिन डिजिटल करेंसी हमेशा डिजिटली ही इस्तेमाल की जा सकेगी. यानी इसे नोटो के रूप में नहीं बदला जा सकेगा.
सीबीडीसी यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC). नाम से ही समझ आता है ये देश की सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की जाने वाली मुद्रा या करेंसी है. भारत में सेंट्रल बैंक आरबीआई है यानी रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी भारत की डिजिटल करेंसी कहलाएगी.
ई-रुपी आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी डिजिटल करेंसी होगी. यह नोट या सिक्के के रूप में न होकर डिजिटल रूप में होगी. यह लीगल टेंडर कहलाएगी जिसका आम लोग लेन देन के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे.
इसे पेटीएम या किसी अन्य एप के वॉलेट में पड़े पैसों से तुलना न करें. वॉलेट में पड़ा पैसा डिजिटल वर्जन में जरूर है लेकिन वह डिजिटल करेंसी नहीं कहलाएगा.
Expand2. ई-रुपी के बाद क्या भारत में दो करेंसी हो जाएंगी?
नहीं. ई-रुपी करेंसी अलग से जारी नहीं की जाएगी. भारत में छपने वाले नोटों का ही डिजिटल रूप होगा. इसे उदाहरण से समझते हैं. मान लाजिए कि आरबीआई एक लाख रुपये छापने की तैयारी में हैं. इसका मतलब 100, 200, 500 आदी के नोट छाप कर कुल एक लाख रुपये छापे जाएंगे.
लेकिन डिजिटल करेंसी के लॉन्च होने के बाद आरबीआई एक लाख में से मान लीजिए कि 80 हजार के ही नोट छापेगी और बचे हुए 20 हजार डिजिटल रूप यानी ई-रुपी जारी करेगी.
Expand3. कितने तरह की होगी ई-रुपी?
ई-रुपी दो तरह की होगी. पहला CBDC- W, दूसरा CBDC- R.
सीबीडीसी- W यानी डिजिटल करेंसी होलसेल (CBDC- Wholesale). इसका इस्तेमाल होलसेल में होगा.
सीबीडीसी होलसेल का मतलब यह चुनिंदा वित्तीय संस्थान (बैंक) और गैर-वित्तीय संस्थानों द्वारा सरकारी सेटलमेंट के लिए इस्तेमाल की जाएगी. जैसे जब किसी बैंक को सरकारी बॉन्ड (Govt Bonds) खरीदने हो तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
सीबीडीसी- R यानी डिजिटल करेंसी रिटेल (CBDC- Retail). यह आम लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाएगी. जैसे दवाइयां, या कोई भी सामान खरीदने के लिए की जा सकेगी.
फिलहाल आरबीआई ने होलसेल के लिए इसका पायल प्रोजेक्ट लॉन्च किया है.
Expand4. किस बैंक में होगा डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल?
फिलहाल रिजर्व बैंक ने कुल 9 बैंकों को डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल की अनुमति दी है. इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक लि., कोटक महिंद्र बैंक, येस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट (IDFC First) बैंक, एचएसबीसी (भारतीय यूनिट).
Expand5. आम लोगों तक कब पहुंचेगी ई-रुपी?
आरबीआई ने होलसेल के लिए डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद अब एक दिसंबर से इसके रिटेल इस्तेमाल के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर रही है. लेकिन रिटेल में भी पहले इसका पायलट होना है यानी रिटेल कुछ व्यापारियों और किसी एक वर्ग को इस्तेमाल के लिए दिया जाएगा.
Expand6. डिजिटल करेंसी क्रिप्टो से कैसे अलग है?
डिजिटल करेंसी को आरबीआई/भारत सरकार की बैकिंग है, इसलिए इसे सुरक्षित माना जा सकता है जबिक क्रिप्टोकरेंसी आम लोगों को बीच डिमांड और सप्लाय के आधार पर काम करती है. तभी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो का मूल्य किसी समय में 60 हजार डॉलर के आसपास था और आज 20 हजार के आसपास है
डिजिटल करेंसी सेंट्रलाइज्ड होगी यानी आरबीआई की निगरानी में. कौन इसका लेन देन कर रहा है, किससे कर रहा है, कितना कर रहा है सबकी जानकारी होगी. जबकि क्रिप्टो डिसेंट्रलाइज्ड है. किसी का नियंत्रण नहीं. कौन लेन देन कर रहा है, किसे और कितना कर रहा है. ये पता लगाना न के बराबर होता है.
डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन आधारित टेक्नॉलजी पर हो सकती है लेकिन यह प्राइवेट होगा और ट्रांजेक्शन के लिए अनुमति मांगेगा जबकि क्रिप्टो जिस ब्लॉकचेन पर आधारित है वह ओपन नेटवर्क है और बिना किसी अनुमति के चलता है.
डिजिटल रुपी कोई कमोडिटी नहीं है जबकि क्रिप्टोकरेंसी एक कमोडिटी है. क्रिप्टो का कोई इश्युअर यानी इसे जारी करने वाला कोई नहीं होता और यह कैश नहीं कहलाता. डिजिटल रुपी बैंक नोट का डिजिटल वर्जन है जो की आरबीआई जारी करता है इसका इस्तेमाल केवल बैंक नोट की जगह ही होगा.
रचित चावला, सीईओ, फिनवे एफएससीक्रिप्टोकरेंसी स्वतंत्र डिजिटल असेट है जो डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क पर चलता है, दूसरी तरफ सीबीडीसी को सरकार की बैकिंग है और सेंट्रलाइज्ड है यानी सरकार के पास पूरी तरह से नियंत्रण होगा. कितना पैसा देश के बाहर दजा रहा है कितना अंदर आ रहा है. क्रिप्टो को पसंद करने वालों को यही सबसे ज्यादा पसंद है कि यह किसी के कंट्रोल में नहीं है. हालांकि दोनों ब्लॉकचेन आधारित टेक्नॉलजी पर ही काम करेगी.
कुंवर राज, फाउंडर, अनफाइनेंसExpand7. क्या फायदे हैं डिजिटल करेंसी के?
नोट छापने की लागत कम होगी
ई-रुपी का वितरण आसान और तेजी से होगा
हर ट्रांजेक्शन सरकार की नजर में होगा
मनी लॉन्ड्रिंग और ब्लैक मनी में कमी आएगी
ई-रुपी को नोटों की तरह फाड़ नहीं सकते, जला नहीं सकते
यह गुम नहीं हो सकता और नोट की तुलना ई-रुपी की लाइफ कभी खत्म नहीं होगी
सीबीडीसी के कई फायदे हैं, यह भारतीय नोट को छापने में लगने वीला लागत कम करेगी. जून 2016 से जुलाई 2017 तक के अनुसार नोट छापने की लागत 7,965 करोड़ रही जो की बचाई जा सकती है. फिर लेनदेन तेजी से होगा, सस्ता होगा और सक्सेसफुल रहेगा क्योंकि यह एडवांस्ड ब्लॉकचेन आधारित टेक्नॉलजी पर काम होगा. फर्जीवाड़ा भी कम होगा क्योंकि इसका कंट्रोल सरकार के पास रहेगा.
आयुश शुक्लाज, फाउंडर, फिनेट मीडियाExpand8. किन देशों में इस्तेमाल हो रही डिजिटल करेंसी?
दुनियाभर के कई देश अपनी डिजिटल करेंसी लाना चाहते हैं.
2020 में पहली बार वेस्टइंडीज के बाहमास ने सैंड डॉलर नाम से डिजिटल करेंसी जारी की थी
कैरेबियन देश जमैका और अफ्रीकी देश नाइजीरिया अपनी डिजिटल करेंसी जारी कर चुका है
चीन 2023 तक अपनी डिजिटल करेंसी e-CNY लान्च करने के लिए तैयार है
अमेरिका और ब्रिटेन भी डिजिटल करेंसी पर रिसर्च कर रहा है जानकारी के मुताबिक ब्रिटेन ब्रिटकॉइन पर काम कर रहा है
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बता दें कि जिस तरह से भारतीय रुपया सिक्के (1, 2, 5, 10, 20) और नोट (10, 20, 50, 100, 200, 500, 2000) के रूप में जारी होता है वैसे ही इसी डिनोमिनेशन में डिजिटल करेंसी भी जारी होगी. यह यूपीआई से पूरी तरह से अलग होगी. यूपी आपके फिजिकल कैश का डिजिटल वर्जन है लेकिन डिजिटल करेंसी हमेशा डिजिटली ही इस्तेमाल की जा सकेगी. यानी इसे नोटो के रूप में नहीं बदला जा सकेगा.
क्या है डिजिटल करेंसी ई-रुपी और सीबीडीसी?
सीबीडीसी यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC). नाम से ही समझ आता है ये देश की सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की जाने वाली मुद्रा या करेंसी है. भारत में सेंट्रल बैंक आरबीआई है यानी रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी भारत की डिजिटल करेंसी कहलाएगी.
ई-रुपी आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी डिजिटल करेंसी होगी. यह नोट या सिक्के के रूप में न होकर डिजिटल रूप में होगी. यह लीगल टेंडर कहलाएगी जिसका आम लोग लेन देन के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे.
इसे पेटीएम या किसी अन्य एप के वॉलेट में पड़े पैसों से तुलना न करें. वॉलेट में पड़ा पैसा डिजिटल वर्जन में जरूर है लेकिन वह डिजिटल करेंसी नहीं कहलाएगा.
ई-रुपी के बाद क्या भारत में दो करेंसी हो जाएंगी?
नहीं. ई-रुपी करेंसी अलग से जारी नहीं की जाएगी. भारत में छपने वाले नोटों का ही डिजिटल रूप होगा. इसे उदाहरण से समझते हैं. मान लाजिए कि आरबीआई एक लाख रुपये छापने की तैयारी में हैं. इसका मतलब 100, 200, 500 आदी के नोट छाप कर कुल एक लाख रुपये छापे जाएंगे.
लेकिन डिजिटल करेंसी के लॉन्च होने के बाद आरबीआई एक लाख में से मान लीजिए कि 80 हजार के ही नोट छापेगी और बचे हुए 20 हजार डिजिटल रूप यानी ई-रुपी जारी करेगी.
कितने तरह की होगी ई-रुपी?
ई-रुपी दो तरह की होगी. पहला CBDC- W, दूसरा CBDC- R.
सीबीडीसी- W यानी डिजिटल करेंसी होलसेल (CBDC- Wholesale). इसका इस्तेमाल होलसेल में होगा.
सीबीडीसी होलसेल का मतलब यह चुनिंदा वित्तीय संस्थान (बैंक) और गैर-वित्तीय संस्थानों द्वारा सरकारी सेटलमेंट के लिए इस्तेमाल की जाएगी. जैसे जब किसी बैंक को सरकारी बॉन्ड (Govt Bonds) खरीदने हो तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
सीबीडीसी- R यानी डिजिटल करेंसी रिटेल (CBDC- Retail). यह आम लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाएगी. जैसे दवाइयां, या कोई भी सामान खरीदने के लिए की जा सकेगी.
फिलहाल आरबीआई ने होलसेल के लिए इसका पायल प्रोजेक्ट लॉन्च किया है.
किस बैंक में होगा डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल?
फिलहाल रिजर्व बैंक ने कुल 9 बैंकों को डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल की अनुमति दी है. इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक लि., कोटक महिंद्र बैंक, येस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट (IDFC First) बैंक, एचएसबीसी (भारतीय यूनिट).
आम लोगों तक कब पहुंचेगी ई-रुपी?
आरबीआई ने होलसेल के लिए डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद अब एक दिसंबर से इसके रिटेल इस्तेमाल के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर रही है. लेकिन रिटेल में भी पहले इसका पायलट होना है यानी रिटेल कुछ व्यापारियों और किसी एक वर्ग को इस्तेमाल के लिए दिया जाएगा.
डिजिटल करेंसी क्रिप्टो से कैसे अलग है?
डिजिटल करेंसी को आरबीआई/भारत सरकार की बैकिंग है, इसलिए इसे सुरक्षित माना जा सकता है जबिक क्रिप्टोकरेंसी आम लोगों को बीच डिमांड और सप्लाय के आधार पर काम करती है. तभी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो का मूल्य किसी समय में 60 हजार डॉलर के आसपास था और आज 20 हजार के आसपास है
डिजिटल करेंसी सेंट्रलाइज्ड होगी यानी आरबीआई की निगरानी में. कौन इसका लेन देन कर रहा है, किससे कर रहा है, कितना कर रहा है सबकी जानकारी होगी. जबकि क्रिप्टो डिसेंट्रलाइज्ड है. किसी का नियंत्रण नहीं. कौन लेन देन कर रहा है, किसे और कितना कर रहा है. ये पता लगाना न के बराबर होता है.
डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन आधारित टेक्नॉलजी पर हो सकती है लेकिन यह प्राइवेट होगा और ट्रांजेक्शन के लिए अनुमति मांगेगा जबकि क्रिप्टो जिस ब्लॉकचेन पर आधारित है वह ओपन नेटवर्क है और बिना किसी अनुमति के चलता है.
डिजिटल रुपी कोई कमोडिटी नहीं है जबकि क्रिप्टोकरेंसी एक कमोडिटी है. क्रिप्टो का कोई इश्युअर यानी इसे जारी करने वाला कोई नहीं होता और यह कैश नहीं कहलाता. डिजिटल रुपी बैंक नोट का डिजिटल वर्जन है जो की आरबीआई जारी करता है इसका इस्तेमाल केवल बैंक नोट की जगह ही होगा.रचित चावला, सीईओ, फिनवे एफएससी
क्रिप्टोकरेंसी स्वतंत्र डिजिटल असेट है जो डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क पर चलता है, दूसरी तरफ सीबीडीसी को सरकार की बैकिंग है और सेंट्रलाइज्ड है यानी सरकार के पास पूरी तरह से नियंत्रण होगा. कितना पैसा देश के बाहर दजा रहा है कितना अंदर आ रहा है. क्रिप्टो को पसंद करने वालों को यही सबसे ज्यादा पसंद है कि यह किसी के कंट्रोल में नहीं है. हालांकि दोनों ब्लॉकचेन आधारित टेक्नॉलजी पर ही काम करेगी.कुंवर राज, फाउंडर, अनफाइनेंस
क्या फायदे हैं डिजिटल करेंसी के?
नोट छापने की लागत कम होगी
ई-रुपी का वितरण आसान और तेजी से होगा
हर ट्रांजेक्शन सरकार की नजर में होगा
मनी लॉन्ड्रिंग और ब्लैक मनी में कमी आएगी
ई-रुपी को नोटों की तरह फाड़ नहीं सकते, जला नहीं सकते
यह गुम नहीं हो सकता और नोट की तुलना ई-रुपी की लाइफ कभी खत्म नहीं होगी
सीबीडीसी के कई फायदे हैं, यह भारतीय नोट को छापने में लगने वीला लागत कम करेगी. जून 2016 से जुलाई 2017 तक के अनुसार नोट छापने की लागत 7,965 करोड़ रही जो की बचाई जा सकती है. फिर लेनदेन तेजी से होगा, सस्ता होगा और सक्सेसफुल रहेगा क्योंकि यह एडवांस्ड ब्लॉकचेन आधारित टेक्नॉलजी पर काम होगा. फर्जीवाड़ा भी कम होगा क्योंकि इसका कंट्रोल सरकार के पास रहेगा.आयुश शुक्लाज, फाउंडर, फिनेट मीडिया
किन देशों में इस्तेमाल हो रही डिजिटल करेंसी?
दुनियाभर के कई देश अपनी डिजिटल करेंसी लाना चाहते हैं.
2020 में पहली बार वेस्टइंडीज के बाहमास ने सैंड डॉलर नाम से डिजिटल करेंसी जारी की थी
कैरेबियन देश जमैका और अफ्रीकी देश नाइजीरिया अपनी डिजिटल करेंसी जारी कर चुका है
चीन 2023 तक अपनी डिजिटल करेंसी e-CNY लान्च करने के लिए तैयार है
अमेरिका और ब्रिटेन भी डिजिटल करेंसी पर रिसर्च कर रहा है जानकारी के मुताबिक ब्रिटेन ब्रिटकॉइन पर काम कर रहा है
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