Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Dollar vs Rupee: रुपया 83 पार, 1950 से अब तक कैसा रहा रुपये का सफर?

Dollar vs Rupee: रुपया 83 पार, 1950 से अब तक कैसा रहा रुपये का सफर?

Rupee vs Dollar: फेड द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि, ईंधन-खाद्य आयात पर निर्भरता, रूस-यूक्रेन जंग गिरावट की बड़ी वजह

प्रतीक वाघमारे
बिजनेस
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Dollar vs Rupee: रुपया 83 पार, 1950 से अब तक कैसा रहा रुपये का सफर?</p></div>
i

Dollar vs Rupee: रुपया 83 पार, 1950 से अब तक कैसा रहा रुपये का सफर?

फोटो- क्विंट

advertisement

अमेरिकी डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपया (Rupee) लगातार कमजोर होता जा रहा है. डॉलर की तुलना में रुपये का मूल्य गिरकर अब 83 को भी पार कर गया है. दुनियाभर की कई मुद्राएं इस समय डॉलर के मुकाबले संघर्ष कर रही है. साल 1950 के आंकड़ों पर नजर डालें तो डॉलर के मुकाबले रुपया 4.79 था और अब 83 के आसपास चल रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने कहा है कि वो इसे ऐसे देखती हैं कि डॉलर मजबूत हो रहा है. वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि, फेडरल रिजर्व लागतार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है, इसके अलावा कई स्थानीय कारण भी हैं, जैसे ईंधन और खाद्य आयात पर निर्भरता, फिर इनकी कीमतों में होता इजाफा, रूसी-यूक्रेन संघर्ष भी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की बड़ी वजह है.

इसमें आगे कहा गया कि, पहले भी देखा गया है कि फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से हमेशा ही डॉलर को बाकी मुद्राओं की तुलना में काफी मजबूती मिलती है.

पिछले साल की तुलना में रुपये ने डॉलर के मुकाबले 10 फीसदी अपनी वैल्यू खो दी है. टेलिग्राफ इंडिया से बातचीत में कैपिटल इकॉनमिक्स के वरिष्ठ अर्थशास्त्री शिलन शाह कहते हैं कि, “अगले साल के मध्य तक डॉलर काफी मजबूत हो जाएगा और रुपये में और गिरावट जारी रहेगी, यह लगभग 85 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंचेगी और फिर रिकवर की संभावना है.

रुपया के मुकाबले डॉलर मजबूत है- वित्त मंत्री

फोटो- क्विंट

भारत की आजादी के बाद साल 1950 में डॉलर की तुलना में रुपया 4.79 पर था, जो 1970 में गिरकर 7.56 पर आ गया. जब भारत पूरी दुनिया के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने जा रहा था उससे पहले साल 1990 में यह 17.5 पर था. जैसे ही ग्लोबलाइजेशन की नीति लागू हुई उसके बाद 1995 में यह 32.42 पर पहुंच गया था.

साल 2001 में यह 46.53 पर था, 2012 में 52.68 पर, 2014 में 61.90 पर, 2016 में 66.84 पर और महामारी के दौरान यानी 2020 में यह 70 के आंकड़े को पार कर चुका था. 2022 में यह गिरते गिरते अब अक्टूबर में 83 के आंकड़े को पार कर गया है. ध्यान रहे ये आंकड़े दिए गए साल के जनवरी महीने के पहले हफ्ते की उस तारीख के हैं जिस दिन डेटा उपल्बध था.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 23 Oct 2022,02:42 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT