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सुस्त इकोनॉमी को एक और झटका लगा है. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी विकास दर घट कर पांच फीसदी रहने का अनुमान है. निवेश और मांग में कमी की वजह से ग्रोथ रेट को यह बड़ा झटका है. पिछले वित्त वर्ष वर्ष की आखिरी तिमाही यानी दिसंबर- मार्च में ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी था.
पिछले साढ़े छह साल के दौरान यह सबसे कम ग्रोथ रेट अनुमान है. 2013 की पहली तिमाही के बाद यह सबसे कम ग्रोथ रेट है. दरअसल इकनॉमी के कई सेक्टरों के खराब प्रदर्शन की वजह से सुस्त ग्रोथ रेट को और झटका लगा है. पिछले साल पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में 5.1 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हुई थी. लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में सिर्फ 3.6 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है.
गाड़ियों की बिक्री में कमी, घरेलू उड़ानों में यात्रियों की संख्या में गिरावट, रेल ढुलाई और आयात में कमी साफ तौर पर खपत की कमी दिखा रही है. कम महंगाई भी इकनॉमी के स्लोडाउन की वजह है. देश में ऑटो सेक्टर बुरे दौर से जुर रहा है. जुलाई में ऑटो सेक्टर की बिक्री में 31 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई. आरबीआई ने पिछले चार बार से लगातार ब्याज दर में कटौती की है. अब तक ब्याज दर में 1.10 फीसदी की कटौती की जा चुकी है.
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