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सस्ते हो सकते हैं सैनेटरी नैपकिन और हैंड वॉश,लगेगा प्राइस कंट्रोल

जरूरी दवाइयों पर प्राइस कंट्रोल की तरह ही सरकार कुछ हाइजिन प्रोडक्ट के दाम भी नियंत्रित करना चाहती है

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सरकार सैनेटरी नैपकिन, हैंडवॉश और एडल्ट डायपर के दाम नियंत्रित करना चाहती है
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सरकार सैनेटरी नैपकिन, हैंडवॉश और एडल्ट डायपर के दाम नियंत्रित करना चाहती है
(फोटो : ब्लूमबर्गक्विंट)  

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सैनेटरी नैपकिन, हैंड वॉश, एडल्ट डायपर और हैंड सेनेटाइजर जैसे डिसइन्फेक्टेंट्स सस्ते हो सकते हैं. सरकार जरूरी हाइजिन प्रोडक्ट की एक लिस्ट तैयार कर रही है.जरूरी दवाइयों की तरह ही सरकार इन हाइजिन प्रोडक्ट्स के दाम भी नियंत्रित कर सकती है. इस वजह से सैनेटरी नैपकिन, हैंडवॉश और एडल्ट डायपर जैसे कुछ हाइजिन प्रोडक्ट सस्ते हो सकते हैं.

सरकार बना रही है हाइजिन प्रोडक्ट्स की लिस्ट

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर में इस मामले से जुड़े एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है हाइजिन से जुड़े प्रोडक्ट की लिस्ट बन रही है. अगले दो महीने में यह जारी हो सकती है. इसे दो हिस्सों में बांटा जाएगा. प्राइमरी और सेकेंडरी. प्राइमरी कैटेगरी के प्रोडक्ट की कीमतों को सरकार नियंत्रित करेगी. साथ ही सरकार कोशिश करेगी कि सेकेंडरी कैटेगरी के प्रोडक्ट भी वाजिब कीमत पर मिलें. अधिकारियों का कहना है कुछ प्रोडक्ट पर प्राइस कैप होगी और कुछ पर मार्जिन तय किया जा सकता है.

इस अधिकारी के मुताबिक हैंड वॉश, सैनेटरी नैपकिन जैसे प्रोडक्ट हर घर में इस्तेमाल किए जाते हैं. परिवारों के लिए जरूरी हेल्थ खर्चे हैं. ये दवाइयों की कैटेगरी में नहीं आते. ये हेल्थ प्रोडक्ट होते हैं जो हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करने के लिए जरूरी हैं. इसके बावजूद ये प्रोडक्ट काफी महंगे हैं. इन पर काफी मार्जिन लिया जाता है

सरकार चाहती है कि ये प्रोडक्ट कम दाम में लोगों को मिले. आगे चलकर प्राइमरी और कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर में यह मुफ्त भी मुहैया कराए जा सकते हैं. सरकार ग्रामीण इलाकों में सैनेटरी नैपकिन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भी इन पर प्राइस कंट्रोल लागू करना चाहती है.

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सरकार करती है 324 जरूरी दवाइयों के दाम कंट्रोल

सरकार इस वक्त 384 आवश्यक दवाओं के लिए प्राइस कंट्रोल करती है. इनमें स्टंट और दूसरे मेडिकल डिवाइस हैं. जबकि दूसरी दवाइयों के लिए सरकार कीमतों पर हर साल दस फीसदी (12 महीने के मूविंग एवरेज बेसिस पर) मार्जिन बढ़ाने की इजाजत देती है. सरकार ने कैंसर की 42 दवाइयों पर 30 फीसदी मार्जिन कैप लगाया हुआ है.

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