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ओला-उबर का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को सर्ज प्राइस यानी अधिक मांग वाले टाइम पीरियड में ज्यादा किराया से छुटकारा मिल सकता है. सरकार इसकी तैयारी कर रही है. साथ ही इन टैक्सी एग्रीगेटर कंपनियों का कमीशन दस फीसदी तक सीमित हो सकता है. सरकार के निर्देश लागू हुए तो ओला और उबर जैसी कंपनियों की हर राइड पर कमीशन पूरे किराये का दस फीसदी ही होगा. नब्बे फीसदी किराया ड्राइवर को मिलेगा.
ओला-उबर जैसी टैक्सी एग्रीगेटर कंपनियां अभी पूरे किराये का 20 फीसदी कमीशन लेती है. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने सर्ज प्राइस (अधिक मांग वाली अवधि) भी तय करने का सुझाव दिया है. केंद्र के मुताबिक यह बेस कीमत का दोगुना हो सकता है. राज्य कैब एग्रीगेटर्स से मिल कर सर्ज प्राइस तय कर सकते हैं. सरकार टैक्सी एग्रीगेटर सर्विस कंपनियों का कमीशन सीमित करने वाले ड्राफ्ट को अगले सप्ताह पब्लिक फीडबैक के लिए जारी कर सकती है.
मोटर व्हिकल (अमेंडमेंट) बिल, 2019 के पास होने के बाद कैब ऐग्रिगेटर्स के लिए इस तरह के नियमों की पेशकश की जा रही है. इस बिल में पहली बार कैब ऐग्रिगेटर्स को डिजिटल इंटरमीडियरी यानी मार्केटप्लेस माना गया. इससे पहले इन कंपनियों को अलग एंटिटी नहीं माना जाता था. इस वजह से उबर और ओला और रैपिडो जैसी कंपनियां कमीशन और पेनाल्टी पर मनमाना करती रही हैं.
फिलहाल सरकार ने जो गाइडलाइंस सुझाए हैं उनमें पैसेंजर सिक्योरिटी, सर्विस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ियों और दूसरी तरह की जिम्मेदारियों का भी जिक्र है. ये सभी मोटर व्हिकल संशोधन के तहत आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में मोबाइल एप बेस्ड टैक्सी सर्विस कंपनियों के रेगुलेशन के लिए एक नया कानून बनाने को कहा था.
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