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देश में जल्द ही गाड़ियां खाना बनाने के तेल से बने डीजल से चलती नजर आ सकती हैं. सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ने देश के 100 शहरों में इस्तेमाल हो चुके खाना पकाने के तेल से बने बायोडीजल खरीदने के लिए शनिवार को एक प्रोग्राम की शुरुआत की. भारत अपने इस्तेमाल के 80 फीसदी तेल का आयात करता है. आयात बिल पर इसका काफी दबाव है.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने औपचारिक तौर पर इस कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके तहत तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियां होटल, रेस्तरां और कैंटीन में इस्तेमाल हो चुके कुकिंग ऑयल से बायोडीजल बनाने के प्लांट लगाने के लिए बोली आमंत्रित करेंगी.
शुरुआत में तेल मार्केटिंग कंपनियां इस प्रकार बायोडीजल को 51 रुपये प्रति लीटर की तय दर से खरीदेंगी. दूसरे साल में उसे बढ़ाकर 52.7 रुपये एवं तीसरे वर्ष में 54.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया जाएगा.
मंत्री ने इस्तेमाल हो चुके कुकिंग ऑयल (आरयूसीओ) का स्टिकर और इस्तेमाल हो चुके खाना पकाने के तेल (यूसीओ) को इकट्ठा करने को लेकर एक मोबाइल ऐप की भी शुरुआत की. होटल और रेस्तरां अपने परिसरों में ऐसे स्टिकर लगाएंगे कि वे बायोडीजल उत्पादन के लिए यूसीओ की सप्लाई करते हैं.
वर्ल्ड बायोफ्यूल डे के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधान ने कहा, ''कुकिंग ऑयल के अलावा अन्य कई रूप में भी बायोडीजल उपलब्ध है. हम विश्व जैव ईंधन दिवस को वैकल्पिक ऊर्जा दिवस के रूप में मनाएंगे.
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस मौके पर यूसीओ से बायोडीजल के उत्पादन को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की.उन्होंने कहा कि खाना पकाने के इस्तेमाल हो चुके तेल के बार-बार इस्तेमाल से हाई ब्लड प्रेशर, एथेरोस्क्लेरोसिस, अल्जाइमर और लीवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा होता है.
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