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आरबीआई की सिफारिश पर भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है.इस प्रतिबंध के बाद बैंक का कोई भी खाताधारक अपने अकाउंट से 50 हजार रुपये से अधिक रकम नहीं निकाल सकता.
सरकार का यह आदेश पांच मार्च को शाम छह बजे लागू हो गया. यह प्रतिबंध फिलहाल 5 मार्च से 3 अप्रैल तक के लिए है. इस दौरान यस बैंक के किसी ग्राहक के कितने भी अकाउंट क्यों न हों वे इस दौरान 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते.
यस बैंक एनपीए की समस्या से जूझ रहा है. गुरुवार ( 5 मार्च, 2020) को ब्लूमबर्ग ने खबर दी कि सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई और दूसरे वित्तीय संस्थान मिल कर यस बैंक को इस समस्या से निकालेंगे. सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है.
इसके पहले की खबरों में कहा गया था कि एसबीआई-एलआईसी का कंर्सोशियम नया एमडी नियुक्त कर बैंक के बोर्ड को कंट्रोल करेगा. सरकार को इस बात का भरोसा नहीं है कि यस बैंक बाहरी निवेशकों को आकर्षित कर सकेगा. इसलिए यह जरूरी था. यस बैंक ने बाहरी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए खुद 14 मार्च की डेडलाइन रखी थी.
सीएनबीसी-टीवी 18 की खबरों के मुताबिक एसबीआई और एलआईसी मिलकर यस बैंक की 24.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीद सकती हैं. ईटी नाऊ की खबरों में कहा गया था एसबीआई और एलआईसी यस बैंक के शेयर दो रुपये के हिसाब से खरीदेंगी. इससे पहले ब्लूमबर्ग ने खबर दी थी कि एसबीआई यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदेगी. इसके बाद इसके शेयर 25.7 फीसदी तक उछल गए.
यस बैंक अगस्त, 2018 से संकट में है. उस समय रिजर्व बैंक ने बैंक के तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर से कामकाज के संचालन और ऋण से जुड़ी खामियों की वजह से 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था. उनके उत्तराधिकारी रवनीत गिल के तहत बैंक ने दबाव वाली ऐसी संपत्तियों का खुलासा किया है जिनकी जानकारी नहीं दी गई थी. बैंक को मार्च, 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था.
एनपीए की वजह से बैंक की सुरक्षित पूंजी नीचे आ गई है. YES बैंक ने शुरुआत में दो अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की योजना बनाई थी. बाद में बैंक के निदेशक मंडल ने कनाडा के निवेशक एसपीजीपी ग्रुप-इर्विन सिंह ब्रायच के 1.2 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
मुंबई मुख्यालय वाले YES बैंक की स्थापना 2004 में हुई थी. जून, 2019 के अंत तक बैंक की पूंजी का आकार 3,71,160 करोड़ रुपये था.
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