आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने इस्तीफा दे दिया है. उर्जित पटेल के जबरदस्त समर्थक विश्वनाथन ने अपने रिटायरमेंट के तीन महीने पहले ही हेल्थ ग्राउंड पर इस्तीफा दिया है. विश्वनाथन ने 29 साल तक आरबीआई में सेवा दी थी. 31 मार्च को उनका कार्यकाल खत्म हो जाएगा. विश्वनाथन से पहले गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर 2018 और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने जून 2019 में आरबीआई में अपना पद छोड़ दिया था
स्वास्थ्य कारणों से दिया इस्तीफा
विश्वनाथन के जिम्मे बैंकिंग रेगुलेशन, को-ऑपरेटिव बैंक, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और रिजर्व बैंक में निरीक्षण का काम था. पिछले साल जून में उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दिया गया था. डिप्टी गवर्नर के करीबी सूत्रों ने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें तनाव से संबंधित बीमारी का सामना करने के बाद आराम करने की सलाह दी है. इस वजह से उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया.
विश्वनाथन फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के जबरदस्त समर्थक रहे हैं. उनके कहने पर ही आरबीआई, एनबीएफसी को बेल आउट देने के विरोध में अपने कदम पर कायम रहा. आरबीआई में विश्वनाथन पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की नीतियों के समर्थक थे.
उर्जित पटेल और विरल आचार्य के बाद तीसरा हाई प्रोफाइल इस्तीफा
रिजर्व बैंक की नीतियों को लेकर खींचतान के बाद आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया था. पटेल ने उस वक्त इस्तीफे की वजह व्यक्तिगत बताया था. हालांकि यह साफ हो चुका था कि आरबीआई की नीतियों को लेकर सरकार से उनकी खींचतान चल रही थी. पटेल ने इस्तीफा देते वक्त व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया था.
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले साल 24 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. आचार्य को दिसंबर 2016 में नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल छह महीने बाद खत्म होने वाला था. लेकिन उन्होंने मोदी सरकार के बजट से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया था. विश्वनाथन का इस्तीफा आरबीआई में तीसरा हाई प्रोफाइल इस्तीफा है.
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