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फ्रांस में भारतीय संपत्तियों पर कब्जा! क्या Cairn Energy को है कानूनी अधिकार?

Cairn Energy ने France में भारत सरकार की 20 संपत्तियों पर कब्जा कर लिया

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बिजनेस
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<div class="paragraphs"><p>Cairn Energy का France में भारत सरकार की 20 संपत्तियों पर कब्जा</p></div>
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Cairn Energy का France में भारत सरकार की 20 संपत्तियों पर कब्जा

(फाइल फोटो: PTI)

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ब्रिटेन के तेल समूह केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) ने 8 जुलाई को कहा कि उसने फ्रांस में भारत सरकार की 20 संपत्तियों पर कब्जा कर लिया. फ्रांस (France) के एक कोर्ट ने अपने आदेश में केयर्न एनर्जी को कब्जा करने की इजाजत दी थी. 7 जुलाई को इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा करके केयर्न 1.2 बिलियन डॉलर के आर्बिट्रेशन रिवॉर्ड का एक हिस्सा वसूल सकेगी. हालांकि, भारत सरकार का कहना है कि उसे कोर्ट का कोई आदेश नहीं मिला है.

पीटीआई का कहना है कि फ्रेंच कोर्ट ने 11 जून को केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियों का टेकओवर करने की इजाजत दी थी. 20 मिलियन यूरो से ज्यादा की कीमत वाली इन संपत्तियों को जब्त करने का कदम केयर्न एनर्जी और भारत सरकार के बीच टैक्स विवाद (Cairn Energy Tax Dispute) में नया मोड़ है.

केयर्न भारत सरकार की संपत्तियों पर कैसे कब्जा कर सकता है? किस नियम-कानून के तहत ऐसा मुमकिन है? और क्या पहले भी ऐसा हुआ है? ये सब हम यहां समझते हैं.

क्या केयर्न कब्जा कर सकता है?

संपत्तियों पर कब्जा आर्बिट्रेशन अवॉर्ड वसूलने का एक तरीका है. केयर्न ने आर्बिट्रेशन अवॉर्ड अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, फ्रांस समेत कई देशों में रजिस्टर करा रखा है. ये अवॉर्ड 160 से ज्यादा देशों में भारतीय संपत्ति के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है.

ये वो देश हैं जिन्होंने 1958 न्यू यॉर्क कन्वेंशन ऑन रिकग्निशन एंड एनफोर्समेंट ऑफ फॉरेन आर्बिट्रल अवॉर्ड साइन और पास किया था. इसके तहत भारतीय पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) के विदेश में रखे फंड को भी जब्त किया जा सकता है. भारतीय बैंकों या PSU की संपत्ति भी जब्त हो सकती है.

हालांकि, 1961 की विएना कन्वेंशन के तहत दूतावास और कॉन्सुलेट पर कब्जा नहीं हो सकता है. फ्रांस ने न्यू यॉर्क कन्वेंशन साइन किया है और केयर्न ने वहां अवॉर्ड रजिस्टर कराया है, इसलिए समूह भारतीय संपत्तियों पर कब्जा कर सकता है.

पहले कब ऐसा हुआ है?

मई 2018 में अमेरिकी नेचुरल गैस कंपनी ConocoPhillips को कोर्ट आदेश मिला कि वो वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी PDVSA की संपत्ति जब्त कर 2 बिलियन डॉलर प्लस ब्याज के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को वसूल सकती है.

इसकी वजह से PDVSA को कैरिबियन वॉटर्स से अपने जहाज पीछे लाने पड़े. फिर वो 2 बिलियन डॉलर देने को राजी भी हो गई.

लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, दिसंबर 2020 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड के एक कोर्ट ने मैनहेटन में रूजवेल्ट होटल और पेरिस में स्क्राइब होटल की होल्डिंग कंपनियों को जब्त करने का आदेश दिया है. मामला ऑस्ट्रेलिया की Tethyan Copper के पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरवेज (PIA) पर 4 बिलियन डॉलर प्लस ब्याज के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का था. दोनों ही संपत्ति PIA की थीं.
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संपत्ति जब्त होने पर भारत सरकार ने क्या कहा?

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार के पास ऐसा कोई आदेश या नोटिस किसी फ्रेंच कोर्ट से नहीं आया है. मंत्रालय ने कहा, "सरकार तथ्यों का पता लगा रही है और जब ऐसा आदेश मिलेगा तो भारत के हितों की रक्षा के लिए कानूनी उपाय किए जाएंगे."

"सरकार दिसंबर 2020 का आर्बिट्रेशन रिवॉर्ड रद्द करने के लिए 22 मार्च 2021 को द हेग कोर्ट ऑफ अपील में एप्लीकेशन डाल चुकी है."
केंद्रीय वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय ने कहा कि केयर्न के सीईओ और प्रतिनिधियों ने भारत सरकार से मामला सुलझाने के लिए संपर्क किया था. मंत्रालय का कहना है कि रचनात्मक बातचीत हुई है और सरकार देश के कानूनी दायरे के अंदर विवाद के 'सौहार्दपूर्ण समाधान' के लिए तैयार है.

क्या है केयर्न-भारत सरकार विवाद?

केयर्न एनर्जी ने 2007 में अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया को सूचीबद्ध कराया था. 2011 में उसने कंपनी की 10% हिस्सेदारी अपने पास रख कर बाकी 90% हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड को बेच दी थी.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 2012 में नियमों में बदलाव कर बैक डेट से टैक्स लगाते हुए मार्च 2015 में कंपनी से 10,247 करोड़ का पूंजीगत लाभ कर मांगा. सरकार ने इसकी वसूली के लिए वेदांता में केयर्न कि 5 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी और 1,140 करोड़ का लाभांश और 1,590 करोड़ का टैक्स रिफंड भी जब्त कर लिया. इसके बाद कंपनी ने 2015 में भारत सरकार के खिलाफ परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA) में अपील कर दी.

नीदरलैंड के हेग स्थित PCA की तीन जजों वाली बेंच ने दिसंबर 2020 में अपना निर्णय दिया. अदालत ने 582 पेज के फैसले में माना कि केयर्न एनर्जी की भारतीय इकाई केयर्न्स इंडिया पर बैक डेट से लगा टैक्स ठीक नहीं है. इसके साथ ही ये भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संधि के विपरीत भी था. निर्णय कंपनी के पक्ष में सुनाते हुए ट्रिब्यूनल ने भारत सरकार को 1.7 बिलियन डॉलर देने को कहा.

हालांकि, सरकार ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए वहीं के एक लोअर कोर्ट में अपील दायर कर दी.

टैक्स विवाद में भारतीय सरकार के खिलाफ 1.7 बिलीयन डॉलर का केस जीतने के बाद केयर्न एनर्जी विदेश में एयर इंडिया की संपत्तियों पर दावा ठोका. केयर्न एनर्जी ने हाल ही में न्यूयॉर्क के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वहां एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने को लेकर मुकदमा किया था.

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