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आर्थिक मोर्चे पर आलोचनाओं का सामना कर रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की पॉलिसी की तारीफ करते हुए कहा है कि जीडीपी के अनुपात में भारत पर बहुत ज्यादा कर्ज है, लेकिन वह सही तरीके से इसे कम करने की कोशिश कर रहा है.
IMF के वित्तीय मामलों के विभाग के उपनिदेशक अब्देल सेन्हादजी का कहना है कि वित्त वर्ष 2017 में भारत सरकार का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 70 प्रतिशत रहा. उन्होंने कहा:
आईएमएफ के टॉप अधिकारी का कहना है कि भारत संघीय स्तर पर अपने राजकोषीय घाटे को 3 प्रतिशत और कर्ज के अनुपात को 40 प्रतिशत के स्तर पर लाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि ये टारगेट सही है.
IMF ने दूसरी ओर चीन को चेताते हुए कहा कि कुल कर्ज का बढ़ता स्तर उसके लिए बड़ी चुनौती है. साथ ही चीन को इसमें कमी लाने के लिए स्थानीय निकायों के राजस्व स्रोतों पर विचार करना होगा. स्थानीय निकायों की कुल सरकारी खर्च में 85 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
IMF के वित्तीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गास्पर ने कहा, ‘‘सरकारी फंडिंग के मामले में कर्ज और राजकोषीय घाटे के आंकड़े नरम हैं. मुद्दा यह है कि चीन के सरकारी खर्च में देश में राष्ट्रीय स्तर से निचले दर्जे की इकाइयों के जरिए बड़ा हिस्सा व्यय किया जाता है.''
उन्होंने कहा कि निजी और सार्वजनिक, दोनों स्तर का कर्ज चिंता की बात है. यही वजह है कि कर्ज के स्तर पर नियंत्रण चीन के लिए बड़ी चुनौती है.
(इनपुट भाषा से)
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