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इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने 13 अक्टूबर को भारत की इकनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को और कम कर दिया. कोरोना वायरस महामारी की वजह से दुनिया के मुख्य उभरते बाजारों में गिरावट के मामले में भारत की स्थिति सबसे खराब रहने वाली है.
IMF ने अपने वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक में कहा कि भारत की जीडीपी मार्च 2021 तक के वित्तीय वर्ष में 10.3% गिर सकती है. जून में ये गिरावट 4.5% अनुमानित की गई थी. दुनिया की मुख्य अर्थव्यवस्थाओं में ये 5.8 परसेंटेज पॉइंट की गिरावट सबसे ज्यादा है.
मार्च के अंत में शुरू हुआ भारत का लॉकडाउन दुनिया में सबसे बड़ा था. जिसकी वजह से जून तिमाही में जीडीपी में 23.9% की गिरावट दर्ज हुई थी. लॉकडाउन की वजह से बिजनेस और नौकरियां बड़ी तादाद में खत्म हो गई थीं.
जीडीपी मापने के अब तक के 40 साल के इतिहास में ये पहली बार था, जब जीडीपी का आंकड़ा नेगेटिव में आया था. वहीं, जनवरी-मार्च तिमाही में ये आंकड़ा 3.1% था. सबसे ज्यादा मार पड़ी थी कंस्ट्रक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर पर.
महामारी की शुरुआत चीन से ही हुई थी, लेकिन वहां अब इस पर काबू पा लिया गया है. चीन की इकनॉमी अब सुधर रही है और IMF ने इस साल 1.9% ग्रोथ का अनुमान लगाया है. ये जून में 1% के अनुमान से ज्यादा है.
IMF ने कहा, "ग्रोथ की तरफ चीन का लौटना अनुमान से ज्यादा मजबूत था और इसने IMF के ग्लोबल आउटलुक में सुधार किया. चीन को छोड़कर उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए संभावनाएं धुंधली हैं.
IMF का भारत के लिए आउटलुक केंद्रीय बैंक RBI के 9.5% गिरावट के अनुमान से भी खराब है.
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