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इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 2022 के लिए 7.4% से घटा कर 6.8% कर दिया है. वहीं आईएमएफ के एक अधिकारी ने कहा है कि जिस समय हर देश का आर्थिक विकास धीमा पड़ा है भारत का भी यही हाल है, लेकिन भारत बेहतर कर रहा है और बाकी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत यह बेहतर स्थिति में बना है.
आईएमएफ के एशिया एंड पेसिफिक डिपार्टमेंट के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा कि अभी वैश्विक हालात को देखें तो यह सबसे बड़ी समस्या है, उन्होंने कहा कि विकास दुनिया के कई हिस्सों में धीमा पड़ गया है, यहां तक कि मुद्रास्फीति (महंगाई) बढ़ रही है."
11 अक्टूबर को जारी आईएमएफ की वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.1 प्रतिशत बताया है. 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक तिहाई से अधिक नुकसान में जाएगा, जबकि अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन जो कि तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं ठप होती रहेंगी.
आईएमएफ के एक अधिकारी ने कहा कि, इससे तीन बातें सामने निकलकर आती है. एक तो जाहिर तौर पर फाइनेंशियल स्थिति बिगड़ रही है क्योंकि महंगाई से लड़ने के लिए कई देशों के केंद्रीय बैंक लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं.
दूसरा, यूक्रेन जहां रूस द्वारा किए गए आक्रमण की वजह से खाद्य (फूड) पदार्थ और कमोडिटी की कीमतों में उछाल आ गया है. साथ ही आयत ज्यादा होने की वजह से करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ रहा है. तीसरा, चीन की इकॉनमी धीमी पड़ रही है.
इन सब कारणों से भारत समेत पूरे एशिया के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाया गया है.
श्रीनिवासन ने कहा कि, भारत ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है और ये एक अच्छा कदम है. इसका मतलब है कि मांग में कमी है. जब भी आप महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते हैं उसका असर निवेश पर पड़ता है. यही वजह है कि भारत की अर्थव्यवस्था में थोड़ी सुस्ती है. इसलिए हमने ग्रोथ अनुमान को घटा कर 6.8 फीसदी कर दिया है. अगले साल का अनुमान 6.1 फिसदी है.
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