advertisement
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने 16 नवंबर को कहा कि ऐसे कई इंडिकेटर हैं जो बता रहे हैं कि देश में आर्थिक सुधार (Economic recovery) अब जोर पकड़ रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी किया कि विकास को टिकाऊ बनाने और अपनी क्षमता तक पहुंचने के लिए निजी पूंजी में निवेश को फिर से शुरू करना होगा.
RBI गवर्नर ने यह बात एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2021 को संबोधित करते हुए कही. शक्तिकांत दास ने कहा कि अगर निजी पूंजी निवेश फिर से शुरू होता है तो भारत में कोरोना महामारी के बाद थमी अर्थव्यवस्था में काफी तेज गति से बढ़ने की क्षमता है.
गौरतलब है कि आरबीआई गवर्नर की ये टिप्पणी इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय बैंक द्वारा प्रकाशित एक लेख के अनुसार ही है. इस लेख में ये बताया गया था कि अनुकूल मौद्रिक और ऋण शर्तें, वैश्विक बाधाओं की गैरमौजूदगी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थायी रिकवरी के पीछे के कुछ प्रमुख कारण हैं.
एक उदाहरण देते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्र द्वारा पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और कई राज्य सरकारों द्वारा वैट में हालिया कटौती से लोगों की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी. RBI गवर्नर के अनुसार यह बदले में अतिरिक्त खपत के लिए जगह बनाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पूछे जाने पर RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जब आरबीआई ने आंतरिक विचार-विमर्श के बाद बताया है कि क्रिप्टोकरेंसी से माइक्रोइकोनॉमी और वित्तीय स्थिरता पर चिंताएं हैं, तो इसपर गहन चर्चा की आवश्यकता है.
माना जा रहा है कि सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक पेश कर सकती है. चिंता है कि इस तरह की करेंसी का निवेशकों को भ्रामक दावों के साथ लुभाने और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)