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पेटीएम के शेयर में और गिरावट देखने को मिल रही है. कंपनी के शेयर गुरुवार को दोपहर 12 बजे इश्यू प्राइस से करीब 22% नीचे ₹1660 पर ट्रेड कर रहा है..कोल इंडिया के बाद इसे भारत का सबसे बड़ा आईपीओ भी बताया गया है जो 18, 300 करोड़ रुपए का है.
डिजिटल पेमेंट कंपनी Paytm के आईपीओ में इन्वेस्ट करने के लए निवेशकों में भारी उत्साह है. लेकिन निवेशकों को जरूरत है कि कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले उसकी स्थिति को जान लें, कंपनी के हिसाब किताब को समझ लें.
कंपनी मुख्य रूप से पेमेंट, बैंकिंग, इंश्योरेंस, वेल्थ मैनेजमेंट, ई-कॉमर्स समेत अन्य क्षेत्रों में कार्यरत है. कंपनी के पास सालाना 12 करोड़ लेनदेन करने वाले यूजर्स हैं और 2 करोड़ से ज्यादा व्यापारी जुड़े हैं और कुल 30 करोड़ से भी ज्यादा यूजर्स हैं.
मनी कंट्रोल के अनुसार, मोबाइल पेंमेंट लेनदेन में पेटीएम का मार्केट शेयर लगभग 40% है. इसके अलावा, वॉलेट पेमेंट लेनदेन में इसका मार्केट शेयर 65 से 70 प्रतिशत है. प्रति महीने UPI लेनदेन में कंपनी का शेयर केवल 14 प्रतिशत है, हालांकि यह तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पेटीएम समेत भारत की कई टेक स्टार्टप कंपनियां घाटे में चल रही हैं. पेटीएम का 2021 में कुल रेवेन्यू 2,802 करोड़ रुपए है. ध्यान रहे कि ये राजस्व है प्रॉफिट नहीं. महामारी का कंपनी पर खासा प्रभाव पड़ा है. कुल संपत्ति 19.4 प्रतिशत गिरकर ₹6,534.8 करोड़ हो गई जो 2019-20 में ₹8,105.2 करोड़ थी.
कंपनी की तरफ से बयान आया कि "हम उम्मीद करते हैं कि हमारे खर्च में वृद्धि होगी क्योंकि हम अतिरिक्त कर्मियों को नियुक्त करते हैं, अपने संचालन और बुनियादी ढांचे का विस्तार करते हैं, दोनों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अपने प्लेटफार्मों को बढ़ाने का खर्च भी आता है."
कुछ आंकड़ों की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष में कुल आय 10% घटकर ₹3,186.8 करोड़ रही जो उससे पिछले वित्त वर्ष में ₹3,540.7 करोड़ थी. मार्केटिंग का खर्च 2020-21 में लगभग आधा होकर ₹532.5 करोड़ हो गया, जो 2019-20 में ₹1,397.1 करोड़ था.
कंपनी पिछले तीन सालों से घाटे में चल रही है और कोरोना महामारी की वजह से लंबे समय के लिए लगे लॉकडाउन ने उसके बिजनस को और प्रभावित किया है.
कंपनी ने अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस (DRHP) जो एक तरह का ऑफर डाक्यूमेंट होता है जो आईपीओ लाने से पहले जमा करना होता है. इसमें साफ लिखा है कि
भारत की टेक यूनिकॉर्न पेटीएम को लेकर अधिकतर एक्सपर्ट्स का राय सकारात्मक ही है. जिस तरह से निवेशकों ने जोमेटो के आईपीओ का स्वागत किया उससे ज्यादा पेटीएम के लिए भी निवेशक उत्साह में है.
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की सीनियर एनालिस्ट काजल गांधी का कहना है, 'ये बिजनेस मॉडल ऐसे हैं, जिनमें अचानक से मुनाफे में बदलने की क्षमता है. “कल, जब वे ग्राहकों से शुल्क वसूलना शुरू करते हैं, तो प्रोफिट बढ़ेगा ही. निवेशक ऐसे व्यवसायों में प्रवेश कर रहे हैं जिनमें बहुत अधिक संभावनाएं हैं, फिर फिलहाल के लिए कंपनी घाटे में ही क्यों न चल रही हो."
वहीं फिनसेफ की फाउंटर और फाइनेंशियल एडवाइजर म्रिन अग्रवाल कहती हैं, "डिजिटल सेगमेंट में पेटीएम का मार्केट लीडरशिप है लेकिन वैल्यूएशन और नुकसान ज्यादा है. इसके अलावा, कंपनी को कई प्रतिस्पर्धी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. मुनाफे की कम संभावना और आईपीओ में अलोटमेंट न मिलने की संभावना को देखते हुए, लॉन्ग टर्म के निवेशकों को आईपीओ से दूर रहना ही बेहतर है."
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पेटीएम भारत के सबसे पुराने और सबसे सफल फिनटेक खिलाड़ियों में से एक है. मार्केट अभी भी विकसित हो रहा है और बढ़ने की काफी गुंजाइश है. हालांकि, यह भी एक सच्चाई है कि उसे अभी मुनाफा देना बाकी है.
कुल मिलाकर एक्सपर्ट्स का पेटीएम के आईपीओ को लेकर पॉजिटिव दृष्टिकोण है, उन्होंने चेतावनी दी है कि निवेशकों को अच्छा रिटर्न पाने के लिए कुछ समय के लिए स्टॉक में निवेश करने की आवश्यकता होगी. लॉन्ग टर्म में जरूर फायदा है.
अगर कंपनी मुनाफा कमाना शुरू करती है तो वही फायदा निवेशकों तक भी पहुंचेगा.
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