Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019IPO में निवेश आपकी फाइनेंशियल सेहत के लिए खतरनाक है!

IPO में निवेश आपकी फाइनेंशियल सेहत के लिए खतरनाक है!

2018-19 के दस आईपीओ में से सिर्फ तीन कंपनियों के शेयर इन दिनों उनके इश्यू प्राइस से ऊपर हैं

धीरज कुमार अग्रवाल
बिजनेस
Updated:
अगर बाजार में तेजी का माहौल बना रहता, तो लिस्ट हुई कंपनियों के शेयर उतने नीचे नहीं आते, जितने अभी हैं.
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अगर बाजार में तेजी का माहौल बना रहता, तो लिस्ट हुई कंपनियों के शेयर उतने नीचे नहीं आते, जितने अभी हैं.
(फोटो: iStock)

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ये चेतावनी वैधानिक भले न हो, प्रामाणिक जरूर है. कम से कम मौजूदा कारोबारी साल में आए IPO के लिए ये बात कहने में हमें कोई संकोच नहीं है. इस साल आए आईपीओ में जिन निवेशकों ने पैसे लगाए हैं, उनमें से ज्यादातर में उनकी इन्वेस्टमेंट वैल्यू कम हुई है.

2018-19 के दस आईपीओ में से सिर्फ तीन कंपनियों के शेयर इन दिनों उनके इश्यू प्राइस से ऊपर हैं और सिर्फ दो के लिस्टिंग प्राइस से ऊपर. ये कंपनियां हैं- एचडीएफसी एएमसी, राइट्स और फाइन ऑर्गेनिक्स इंडस्ट्रीज.

देखें ग्राफिक्स:

साफ है कि जिन 7 कंपनियों के शेयरों के मौजूदा भाव उनके इश्यू प्राइस से कम हैं, उनमें निवेशकों को 20 से लेकर 50 फीसदी तक का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

इस बात में कोई इनकार नहीं है कि शेयर बाजार इन दिनों मंदी की गिरफ्त में है और ज्यादातर शेयरों के भाव उनके उच्चतम स्तर से काफी नीचे आ गए हैं. अगर बाजार में तेजी का माहौल बना रहता, तो शायद मौजूदा कारोबारी साल में लिस्ट हुई कंपनियों के शेयर उतने नीचे नहीं आते, जितने अभी हैं.

फिर भी छोटे निवेशकों के लिए आईपीओ में पैसे लगाने में समझदारी नहीं है, ये बात हम पहले भी कहते रहे हैं. हमने सालभर पहले भी अपने रीडर्स को आईपीओ में निवेश के पहले सावधान रहने की सलाह दी थी. इस कारोबारी साल तो अब तक सिर्फ 10 कंपनियां ही प्राइमरी मार्केट में आई हैं.

पिछले कारोबारी साल में शेयर बाजार में बुल रन का दौर था और 43 कंपनियां अपना आईपीओ लेकर उतरी थीं. उनमें से 26 कंपनियां अपने इश्यू प्राइस और 34 कंपनियां अपने लिस्टिंग प्राइस से नीचे आ चुकी हैं. इनमें आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, अपोलो माइक्रो सिस्टम्स और एस. चांद जैसी कंपनियां भी शामिल हैं.

(देखें ग्राफिक्स)

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IPO लाने वाली हर कंपनी चाहती है कि उसके इश्यू को ज्यादा से ज्यादा लोग सब्सक्राइब करें. इसके लिए जमकर विज्ञापन दिए जाते हैं, रोड शो होते हैं और इश्यू को फायदेमंद बताने वाली रिपोर्ट जारी की जाती है. और जब इश्यू कई गुना सब्सक्राइब हो जाते हैं, तो उनकी लिस्टिंग भी जबरदस्त हो जाती है. लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि लिस्ट होने वाली कंपनी का शेयर उस तेजी को बरकरार रख पाएगा या नहीं.

अगर साल-डेढ़ साल की अवधि में किसी कंपनी का शेयर इश्यू प्राइस के मुकाबले 40, 50 या 60 फीसदी नीचे आ जाता है, तो माना जा सकता है कि वो कभी भी उस प्रीमियम के लायक नहीं था, जितना उसे चढ़ते बाजार में मिला था. क्योंकि अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनियों के शेयर अगर नीचे आते हैं, तो बाजार का माहौल सुधरने पर उनमें तेजी भी लौट आती है. लेकिन सिर्फ सेंटिमेंट के आधार पर बढ़िया लिस्टिंग वाले शेयर के भाव नीचे जाने के बाद वापस ऊपर आएंगे, इसकी संभावना बेहद कम होती है.

इसलिए बहुत जरूरी है कि छोटे निवेशक किसी भी आईपीओ में पैसे लगाने के पहले सारी संभावनाओं पर विचार कर लें. एक बार फिर हम आपको कहना चाहेंगे कि किसी भी नई लिस्टेड कंपनी पर कम से कम 6-9 महीने तक नजर रखें. अगर इसके बाद आपको उस कंपनी में दम लगता है, तब आप बेहिचक उसमें निवेश करें, और अपना नजरिया लंबा रखें.

(धीरज कुमार जाने-माने जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

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Published: 02 Nov 2018,06:26 AM IST

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