Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019CCD के सिद्धार्थ फेल नहीं हुए, इस सिस्टम ने उन्हें नाकाम किया

CCD के सिद्धार्थ फेल नहीं हुए, इस सिस्टम ने उन्हें नाकाम किया

ये कैसा सिस्टम है, जो हजारों को रोजगार देने वाले वीजी सिद्धार्थ जैसे एंटरप्रेन्योर को खुदकुशी करने पर मजबूर करता है

क्विंट हिंदी
बिजनेस
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 वीजी सिद्धार्थ अपने कारोबार के दबाव को नहीं झेल पाए और नदी में कूद कर जान दे दी.
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वीजी सिद्धार्थ अपने कारोबार के दबाव को नहीं झेल पाए और नदी में कूद कर जान दे दी.
(फोटो : द क्विंट) 

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कॉफी कैफे डे के फाउंडर वीजी सिद्धार्थ अपने कारोबार के दबाव को नहीं झेल पाए और नदी में कूद कर जान दे दी. अपने परिवार के कॉफी कारोबार को नई ऊंचाई पर ले जाने वाले सिद्धार्थ के सामने अपने बिजनेस की चुनौतियां और पेचीदगियां क्या इतनी बढ़ गई थीं कि उन्हें मौत को गले लगाना पड़ा?

सिद्धार्थ मनवा चुके थे अपना लोहा

कोस्टा और स्टारबक्स से पहले ही इस देश में कॉफी बिजनेस के कॉरपोरेटाइजेशन करने वाले सिद्धार्थ की बिजनेस की लियाकत पर कोई शक नहीं हो सकता, वरना वह अपनी कंपनी का टर्नओवर 6 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 2,500 करोड़ रुपये तक ले जाने में कामयाब नहीं हो पाते. कॉफी कैफे डे के बिजनेस मॉडल पर वेंचर कैपिटलिस्टों का मजबूत भरोसा था तभी उन्हें केकेआर, स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीई और न्यू सिल्क रूट जैसी प्राइवेट इक्विटी फर्म का समर्थन मिला.

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आत्महत्या करने से पहले लिखी मार्मिक चिट्ठी में सिद्धार्थ ने कहा था, ‘ 37 साल की कड़ी मेहनत के दौरान हमने अपनी कंपनियों में 30,000 लोगों को रोजगार दिया. इसके अलावा 20,000 नौकरियां उन टेक्नोलॉजी कंपनियों ने दीं जिनमें मैं बड़ा शेयर होल्डर हूं.’ सिद्धार्थ ने एक प्राइवेट इक्विटी पार्टनर पर आरोप लगाया कि वह उन्हें अपना शयेर वापस खरीदने को बाध्य कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने टैक्स अधिकारियों की ज्यादतियों की बात की थी.

सिद्धार्थ को थी इनसे शिकायत

सिद्धार्थ ने लिखा, ‘इनकम टैक्स के एक पूर्व डीजी ने भी हमारी ‘माइंड ट्री’ डील को रोकने के लिए दो अलग-अलग मौकों पर हमारे शेयर अटैच किए. उसके बाद हमारे कॉफी डे शेयर्स को भी अटैच कर दिया गया. जबकि हमने अपना संशोधित बकाया फाइल कर दिया था. ये नाजायज था जिससे हमारे सामने पैसे की बड़ी किल्लत खड़ी हो गई. मैं आप सब लोगों से हिम्मत दिखाने और नई मैनेजमैंट के साथ इन बिजनेस को जारी रखने की गुजारिश करता हूं.’

आखिर क्यों इतना बड़ा बिजनेस खड़ा करने के बाद सिद्धार्थ को कहना पड़ा कि एक एंटरप्रेन्योर के तौर पर मैं नाकाम रहा. 

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बढ़ा दी थीं मुश्किलें

सितंबर, 2017 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंटने सिद्धार्थ से जुड़े 20 लोकेशन्स पर छापे मारे थे. इसके बाद ही उनकी परेशानियां बढ़ने लगी थीं. हाल के वर्षों में उनका कर्ज लगातार बढ़ा था. 31 मार्च, 2018 को खत्म हुए वित्त वर्ष में उनकी कंपनी ने 67.71 करोड़ का घाटा हुआ था. जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में यह घाटा 22.28 करोड़ रुपये का था. इसके बावजूद उनका रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा था और यह 122.32 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था.

मार्च में सिद्धार्थ ने माइंड ट्री में अपनी 20.32 फीसदी हिस्सेदारी लासर्न एंड टुूब्रो और सीसीडी की सहयोगी कंपनियों कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड और कॉफी डे ट्रेडिंग लिमिटेड को 3200 करोड़ रुपये में बेच दी थी. इससे उनकी कंपनी की फाइनेंशियल पोजीशन सुधरी थी.

बिजनेस के दबाव और पेचीदगियों से अनजान हैं एजेंसियां

साफ है कि एक सक्सेसफुल बिजनेस खड़ा करने के बाद सिद्धार्थ एजेंसियों के बढ़ते दबाव को झेलने में फेल हो गए. उन्हें फेल किया उस सिस्टम ने, जो बिजनेस के दबाव, पेचीदगियों और कॉरपोरेट कंपनियों के मुश्किल और जटिल ऑपरेशन से नावाकिफ भी था और उसके प्रति काफी हद तक गैर संवेदनशील भी.

अगर सिद्धार्थ के शब्दों में ही मान लिया जाए कि वह तमाम कोशिश के बावजूद एक फायदेमंद बिजनेस नहीं खड़ा कर पाए तो भी क्या यह सिस्टम इतना निर्दयी हो सकता है कि वह बिजनेस और उद्योग के जरिये वेल्थ पैदा करने के सपने देखने वालों का उत्पीड़न करे. हजारों लोगों को रोजगार देने वालों को इतना मजबूर कर दे कि वह खुदकुशी जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाए या फिर अपने सपने को जीने का हौसला खो दे.

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Published: 31 Jul 2019,07:44 PM IST

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