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जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी ने इसके बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है. नरेश गोयल जेट एयरवेज को बचाने के लिए इस्तीफे की पेशकश कर चुके थे. इसे कर्ज देने वाले बैंकों के कंसोर्शियम ने शर्त रखी थी कि कंपनी को दिवालिया होने से बचाना हो तो उन्हें अपनी हिस्सेदारी कम करनी होगी. बैंक अब कर्ज के बदले उनकी हिस्सेदारी ले सकते हैं.
जेट एयरवेज पर लगभग 10 हजार करोड़ का लोन है. इसमें सबसे अधिक कर्ज एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक का 2-2 हजार करोड़ रुपये का है. ऐसे में सवाल ये है कि अब बैंक क्या रणनीति अपनाएंगे? ब्लूमबर्गक्विंट की खबर के मुताबिक एतिहाद जेट में अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार है. ऐसे में बैंक एतिहाद की हिस्सेदारी खरीद सकते हैं. यह 24 फीसदी हिस्सेदारी लगभग 11.4 करोड़ शेयरों के बराबर है. जेट एयरवेज अपने कर्ज के बदले बैंकों को इतने शेयर देने के लिए तैयार थी.
कहा जा रहा है कि फिलहाल कंसोर्शियम जेट को इमरजेंसी फंड भी दे सकता है. जब तक जेट के लिए नया खरीदार नहीं मिल जाता तब तक इमरजेंसी फंड से काम चलता रहेगा. दरअसल कंसोर्शियम में शामिल एसबीआई इसे पहले इमरजेंसी फंड देने को तैयार नहीं था लेकिन उसे लगा कि कंपनी अगर दिवालिया प्रक्रिया चली गई तो उसे कुछ नहीं मिलेगा.
दरअसल कंसोर्शियम में शामिल एसबीआई इसे पहले इमरजेंसी फंड देने को तैयार नहीं था लेकिन उसे लगा कि कंपनी अगर दिवालिया प्रक्रिया चली गई तो उसे कुछ नहीं मिलेगा. बहरहाल, जेट को बचाना इसलिए भी जरूरी है कि जेट एयरवेज डूबी तो कम से कम 23 हजार लोग एक झटके में बेरोजगार हो जाएंगे. इसके अलावा जेट ने दुनिया भर से उधारी ले रखी है. बैंकों के अलावा सप्लायर्स, पायलट और लीज देने वाली कंपनियां सभी पर जेट का बकाया है.
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